ऋतु बसंत मौली ग्याई : नवोदित गायक को एक बार जरूर सुने
नवोदित युवा गीतकार परुण कण्डारी ने अपना दूसरा गढ़वाली पहाड़ी गीत रिलीज किया है. इस गीत में प्रेमी मन की कल्पनाओं की कुदरत से तुलना की गयी है. जिसमें प्रेम, विरह, आनंद, आशा-निराशा जैसी अनुभूतियों को श्रोताओं के साथ जोड़ने की कोशिश की गयी है. गीतकार और गायक परुण ने प्रेम जैसी अनुभूति को बहुत शानदार ऊंचाइयों तक तक पहुंचाने का काम किया है। बसंत ऋतु के आगमन पर किस तरह प्रेमी मन अपने साथी के लिए झूमने लगता है. उसे पाने की उसकी दिली इच्छाएं कैसी कैसी उलझन में होती हैं. गाने का शीर्षक ऋतु बसंत मौली ग्याई की शुरुआत ही कहीं दूर प्रेमी अपनी प्रेमिका को याद करते हुए यह सोच रहा है कि उसकी प्रेयसी दूर पहाड़ों में बैठी है.. और वह अकेला उसके प्यार में डूबा है. बसंत के खिलते मौसम में उसे पुकार रहा है कि मेरे पास आजा.
ऋतु बसंत मौली ग्याई त्वेथै धे लगाणी तू ऐजा . इसी के साथ श्रृंगार रस का उपयोग करते हुए प्रेमिका के सौंदर्य में आकर्षित प्रेमी के मन की ब्यथा को इस गीत में दर्शाया है.. प्रेम में गिरफ्तार नए प्रेमियों को ये गीत पसंद आ सकता है. गायक ने लम्बे अलाप से गीत को कर्णप्रिय बनाने का अच्छा प्रयास किया है. अगर आप सोशल मीडिया प्रेमी हैं और अपनी भावनाओं को किसी तक पहुँचाना चाहते हैं तो यह गीत आपका सोशल मीडिया स्टेटस बन सकता है. संगीत संयोजन भी श्रोताओं को बांधने में कारगर है. प्रेमिका के सौंदर्य की पहाड़ी प्राकृतिक छटा से तुलना करते हुए उसके हुस्न के चर्चों को गीतकार ने लयबद्ध किया है गीत आनंदित करता है. प्रेमी का नींद चैन, सब उड़ गया है. वह विरह भी महसूस कर रहा और प्रेमिका से मिलन की तीब्र इच्छा उसे बेचैन भी कर रही है. सागर शर्मा के संगीत की तारीफ़ बनती है. जिस तरह से उन्होने बाध्य यंत्रों का संयोजन किया वह गीत को और मोहक बनाता है. गीत के लिंक पर क्लीक करें : https://www.youtube.com/watch?v=4jMmJNPbtB4
एक गीतकार की जीवन प्रेरणा का स्रोत, उसकी पत्नी या प्रेमिका का होना सुखद अहसास दिलाता है। गीतकार ने गीत में मन की भावनाओं को स्वर प्रदान किये हैं. आपको यह गीत यूट्यूब चैनल Gopal Babu Goswami RBG पर आप सुन और देख सकते हैं. इसके अलावा आप यूट्यूब पर सीधे जाकर parun kandari टाइप कर के इस गाने का मजा ले सकते है..