MEDIA LIVE : Transformer Controversy: पिटकुल आईएमपी ट्रांसफार्मर खरीद की अब विजिलेंस जांच, पत्र भेजकर एमडी से मांगे 2015 में हुई खरीद से जुड़े दस्तावेज
देहरादून : साल 2015 में पिटकुल ने झाझरा सब स्टेशन सहित प्रदेश में कई जगहों पर 29 ट्रांसफार्मर स्थापित करने के लिए टेंडर निकाला गया था। जिस कंपनी को न्यूनतम रेट पर एल-1 श्रेणी में टेंडर दिया गया था, उसके बजाए पिटकुल के तत्कालीन प्रबंधन ने दूसरे नंबर की बोली लगाने वाली आईएमपी कंपनी (एल-2) को यह काम दे दिया था। इसके अलावा इस पर गलत तरीके से बैंक गारंटी लौटाने जैसे कई आरोप भी तत्कालीन पिटकुल प्रबंधन पर लगे थे।
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मामले में जांच हुई थी, जिसके आधार पर 12 अधिकारी-कर्मचारियों को चार्जशीट दी गई थी। इसकी जांच से संबंधित दस्तावेज सेंट्रल विजिलेंस ने भी तलब किए थे। एक बार फिर यह मामला चर्चाओं में आ गया है। अब राज्य विजिलेंस ने पिटकुल प्रबंध निदेशक को पत्र भेजकर इस मामले से जुड़े सभी दस्तावेज तलब किए हैं।
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क्या है पूरा मामला : पावर ट्रांसमिशन कारपोरेशन ऑफ उत्तराखंड लिमिटेड (पिटकुल) की ओर से 2015 में आईएमपी कंपनी से खरीदे गए ट्रांसफार्मर का विवाद फिर बाहर आ गया है। अब राज्य विजिलेंस ने पिटकुल के एमडी को पत्र भेजकर इस खरीद से जुड़े दस्तावेज तलब किए हैं। हालांकि एमडी का कहना है कि मामले को पहले ही दो एजेंसियों और हाईकोर्ट से क्लीन चिट मिल चुकी है।
विजिलेंस ने आर्बिट्रेशन एप्लीकेशन, सीएजी ऑडिट रिपोर्ट, नुकसान, तुलनात्मक चार्ट और आईएमपी कंपनी से राजेंद्र मिमानी नाम के व्यक्ति के संबंधों और उनकी भूमिका की जानकारी मांगी है। विजिलेंस ने स्पष्ट पूछा है कि इस खरीद से विभाग को कितने राजस्व की हानि हुई।
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इस पूरे प्रकरण पर पिटकुल के एमडी अनिल कुमार का कहना है कि इस मामले में सीपीआरआई और आईआईटी की जांच में भी स्पष्ट हो चुका है कि कोई गड़बड़ी नहीं थी। हाईकोर्ट ने भी इस संबंध में आदेश जारी कर दिया है। एल-1 कंपनी तीन बार बैंक गारंटी का नोटिस देने के बाद भी जब नहीं आई तो नियमानुसार दूसरे नंबर की बोलीकर्ता आईएमपी को एल-1 के रेट पर ही काम दिया गया था। राजस्व का कोई नुकसान नहीं हुआ। कुंभ का मेला था। अगर जल्द ट्रांसफार्मर न लिया जाता तो परेशानी हो सकती थी। कुछ लोग इस तरह की शिकायतें करके निगम को बदनाम करना चाहते हैं।