MEDIA LIVE : देहरादून में अगर यहाँ हॉर्न बजाया , तो होगा चालान , महिलाओ को कहाँ होती है ट्रैफिक में परेशानी यह भी जानिये
मीडिया लाइव, देहरादून : रेड लाइट पर आगे निकलने की होड़ बिल्कुल न करें। अगर रेड लाइन पर हॉर्न बजाया तो वाहन चालकों का चालान हो सकता है। देहरादून पुलिस इस व्यवस्था को लागू करने की तैयारी कर रही है। वाहनों के डिजिटल दस्तावेज मान्य न करने वाले पुलिस वालों पर भी कार्रवाई हो सकती है। पुलिस कप्तान डीआईजी जन्मेजय खंडूड़ी ने एक निजी मीडिया संस्थान की तरफ से आयोजित कार्यक्रम में यह बात कही। इसमें ‘देहरादून के ट्रैफिक में कितनी सुरक्षित हैं महिलाएं’ विषय पर महिलाओं ने पुलिस कप्तान के सामने अपनी समस्याओं को रखा। कप्तान ने इनमें से कई समस्याओं का मौजूदा हल बताया और भविष्य के प्रयासों की जानकारी भी दी।
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महिलाओं ने कहा कि अंधेरे क्षेत्रों में वाहन चलाते वक्त वह कई बार खुद को असुरक्षित महसूस करती हैं। कप्तान ने ऐसी स्थिति में अतिरिक्त सतर्कता बरतने और पुलिस की मदद लेने की बात कही। कुछ महिलाओं ने अपनी समस्या बताई कि पुलिस वाले उनसे वाहन के दस्तावेज की हार्ड कॉपी मांगते हैं। सॉफ्ट कॉपी दिखाई जाती है तो वह मना कर देते हैं। इस पर कप्तान ने कहा कि सॉफ्ट कॉपी मान्य है। इसे न मानने वालों के खिलाफ सख्ती की जाएगी लेकिन सॉफ्ट कॉपी एक फार्मेट में मान्य है। दस्तावेज की फोटो मान्य नहीं होगी। डिजी लॉकर में ड्राइविंग लाइसेंस, आरसी आदि रख सकते हैं।
डिजी लॉकर इन दस्तावेजों को संबंधित विभाग यानी आरटीओ से ही फेच करता है। ऐसे में इसे दिखाने पर कोई भी पुलिसकर्मी या आरटीओ का प्रवर्तन अधिकारी मना नहीं कर सकता। इसमें इंश्योरेंस को भी अपलोड किया जा सकता है। यहां केवल पॉल्यूशन सर्टिफिकेट को नहीं रखा जा सकता है। यह आपको ओरिजनल ही रखना होगा। एम परिवहन एप भी इसी तरह से काम करता है। यहां भी ड्राइविंग लाइसेंस, आरसी और इंश्योरेंस को अपलोड किया जा सकता है।कार्यक्रम में उन भ्रांतियों पर भी चर्चा हुई जो अक्सर महिलाओं की ड्राइविंग के बारे में फैलाई जाती हैं।
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मसलन, महिलाओं को ड्राइविंग में पुरुषों से कमतर आंका जाता है। यानी महिलाएं अच्छी ड्राइवर नहीं होतीं। इस पर पुलिस कप्तान ने कहा कि यह सिर्फ एक सोच से ज्यादा कुछ नहीं है। इसे बदलने की जरूरत है।कई उदाहरण सड़कों पर ऐसे मिलते हैं जो दर्शाते हैं कि महिलाएं न सिर्फ घर बेहतर चला सकती हैं बल्कि वाहन भी उतना ही अच्छा चलाती हैं। इसके लिए उन्होंने अपने घर का उदाहरण भी दिया। कहा कि उनसे अच्छी तरह से उनकी बहनें वाहन चलाती हैं। इस पर विश्वास सिर्फ उन्हें ही नहीं बल्कि उनके लिए चिंता करने वाली मां को भी है।
फिर बात आई देहरादून के पेचीदा यातायात व्यवस्था की। इस विषय पर महिलाओं ने ट्रैफिक सिग्नल, जाम, बेतरतीब चलतीं सिटी बसें, विक्रम समेत कई बातों को रखा। इसके लिए कप्तान ने कहा कि देहरादून में लगातार भीड़ बढ़ रही है। वाहन बढ़ रहे हैं लेकिन इसके सापेक्ष बुनियादी चीजों का विकास नहीं हुआ है। इंजीनियरिंग से इसका हल तलाशा जा रहा है।
पहले कुछ लोगों ने ट्रैफिक सिग्नल को जाम का कारक माना था, लेकिन अब धीरे-धीरे लोगों को ट्रैफिक सिग्नल का पालन करने की आदत हो रही है। फ्लाईओवर भी इसमें सहायता कर रहे हैं।कार्यक्रम में आईं महिलाओं ने पुलिस के व्यवहार पर भी बात की। कुछ ने कहा कि पुलिस का व्यवहार अच्छा है तो कई ने अपने अनुभव साझा करते हुए इसे बेकार बताया। इस पर पुलिस कप्तान ने कहा कि देहरादून पुलिस अन्य जगहों से बेहद शालीन है।
फिर भी कहीं से कोई शिकायत आती है तो इस पर कार्रवाई की जाएगी। पुलिस को लगातार शालीनता से व्यवहार करने की ट्रेनिंग दी जाती है। इसे और बेहतर किया जाएगा। महिलाओं को सबसे ज्यादा परेशानी ट्रैफिक में कहां होती है। इस सवाल पर ज्यादातर महिलाओं ने सिटी बस और विक्रमों का नाम लिया। कहीं भी खड़े हो जाना। एकाएक ब्रेक लगा देना। सवारियां उतारना और चढ़ाना। इन सबसे परेशानी होती है। इसमें पीछे चल रहे चालकों को खतरा होता है। पुलिस कप्तान ने कहा कि काफी हद तक इसे कंट्रोल किया गया है और भविष्य में इस पर नकेल कसी जाएगी। ओवरलोडिंग के मुद्दे पर भी उन्होंने कार्रवाई करने को कहा।
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