MEDIA LIVE : Analysis: केंद्र सरकार न हुई उदार तो पांच साल में 25 हजार करोड़ के नुकसान के लिए उत्तराखंड रहे तैयार

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मीडिया लाइव, देहरादून : मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने सीमित संसाधनों वाले उत्तराखंड राज्य के प्रति यदि उदार रुख नहीं दिखाया तो अगले पांच साल में उत्तराखंड को 25 हजार करोड़ रुपये के राजस्व का भारी नुकसान उठाना पड़ेगा। माल एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू होने से राज्य को जो क्षतिपूर्ति प्राप्त हो रही है, उसके 30 जून को समाप्त होने के प्रबल आसार हैं।

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ऐसा होने पर राज्य को पांच हजार करोड़ रुपये का सालाना नुकसान होगा। हालांकि प्रदेश सरकार ने उम्मीद नहीं छोड़ी है और विधानसभा सत्र के बाद इस मामले को केंद्र सरकार से पुरजोर तरीके उठाने की तैयारी है। लेकिन इससे पहले भी मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी प्रधानमंत्री, केंद्रीय वित्त मंत्री और केंद्र सरकार से खुद वार्ता और पत्राचार के जरिये जीएसटी मुआवजा की सुविधा को जारी रखने की मांग उठा चुके हैं।

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वित्त विभाग की ओर से भी लगातार अनुरोध किया जा रहा है। इन सबके बावजूद केंद्र की ओर सकारात्मक संकेत नहीं मिल पाए हैं। अब राज्य की निगाहें आगामी जीएसटी काउंसिल की बैठक पर लगी है, जिसमें क्षतिपूर्ति के मसले पर चर्चा होने की उम्मीद जताई जा रही है।

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वित्त विभाग के सूत्रों के मुताबिक, जब उत्तराखंड राज्य बना तो उस वक्त राज्य में करों से होने वाली आय 233 करोड़ रुपये थी। जो 2016-17 तक बढ़कर 7143 करोड़ तक पहुंच गई। 2000-01 से 2016-17 के बीच राजस्व में 31 गुना बढ़ोतरी हुई। जीएसटी लागू होने से पूर्व राज्य लगभग 19 फीसद की दर से वृद्धि कर रहा था। जीएसटी लागू होने के बाद अब सरकार को राजस्व में भारी गिरावट का सामना करना पड़ रहा है।

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जीएसटी से इसलिए हो रहा है घाटा
जीएसटी में राज्य को कर प्राप्त होने के सिद्धांत में बदलाव हो गया। राज्य गठन के बाद उत्तराखंड में विशेष औद्योगिक पैकेज से प्रभावित होकर कई उद्योग उत्तराखंड में आए। उन्हें केंद्रीय उत्पाद कर व अन्य में छूट थी। उनके उत्पादों पर लगने वाले कर से प्राप्त राजस्व उत्तराखंड राज्य को प्राप्त हो रहा था।

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लेकिन जीएसटी लागू होने के बाद यहां का उत्पादन जिस राज्य में खरीदा जाएगा, वहां के राज्य को कर की प्राप्ति होगी। यानी लाभ उपभोक्ता वाले राज्य को होगा। यानी राज्य में उपभोग का आधार कम होेने, वस्तुओं पर वैट की तुलना में कर की प्रभावी दर कम होने, राज्य में सेवा का अपर्याप्त आधार तथा जीएसटी के तहत वस्तुओं और सेवाओं पर कर दी दर में लगातार कमी से उत्तराखंड सरीखे राज्यों के राजस्व का नुकसान हो रहा है।

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वित्तीय प्रबंधन संभालने की चुनौती: जीएसटी मुआवजा बंद होने से पांच हजार करोड़ के राजस्व की हानि होने से राज्य के वित्तीय प्रबंधन को संभालना बेहद चुनौतीपूर्ण हो जाएगा। इसे संभालने के लिए सरकार के पास राजस्व बढ़ाए जाने के उपाय करने के सिवाय कोई विकल्प नहीं है।

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शुरू हो गए हैं ये उपाय : अपर सचिव वित्त अहमद इकबाल के मताबिक, राज्य सरकार कर योग्य सीमा से ऊपर का व्यवसाय करने वाले व्यापारियों का चिन्हीकरण कर रही है। इसके लिए व्यापारियों का ऑडिट किया जा रहा है। प्रवर्तन इकाइयां दैनिक समीक्षा कर रही हैं। वैट की बकाया वसूली की नियमित वसूली पर जोर है। राजस्व बढ़ोतरी के लिए परामर्शी सेवाओं का लाभ लिया जा रहा है।

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15वें वित्त आयोग ने उत्तराखंड राज्य को पांच साल के लिए राजस्व घाटा अनुदान देकर बहुत बड़ी राहत दी। इस मद में राज्य को पांच साल में 28147 करोड़ रुपये का अनुदान प्राप्त होगा। जीएसटी मुआवजा बंद होने के बाद दूसरे हाथ से 25 हजार करोड़ का राजस्व फिसल भी जाएगा। यानी कुल मिलाकर राज्य को 3,147 करोड़ का फायदा होगा। हालांकि अन्य सभी मदों को मिलाकर राज्य के लिए पांच साल में कुल 89845 करोड़ रुपये का अनुदान तय है।

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