उत्तराखण्ड न्यूज़करप्शन/क्राइम

MEDIA LIVE : आयुर्वेद विश्वविद्यालय में शुरू होने जा रही विजिलेंस जांच की आंच विभाग के मंत्री रहे डॉ. हरक सिंह रावत तक भी पहुंच सकती है। विवि पिछले कई सालों से वित्तीय अनियमितताओं, भ्रष्टाचार, नियुक्तियों में गड़बड़ियों के लिए चर्चाओं में है।

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मीडिया लाइव, देहरादून : राज्य सरकार ने उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय में व्याप्त भ्रष्टाचार, गलत भर्तियों और अनियमितताओं की विजिलेंस जांच करने का निर्णय ले लिया है। बुधवार को शासन ने इस संबंध में आदेश जारी कर दिए। इससे पहले शासन ने अपर सचिव कार्मिक की अध्यक्षता में चार सदस्यीय जांच समिति बनाई थी जो जांच कर रही है।

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गौरतलब है आयुर्वेद विवि पिछले कई सालों से वित्तीय अनियमितताओं, भ्रष्टाचार, नियुक्तियों में गड़बड़ियों के लिए चर्चाओं में है। पिछले साल अगस्त में अपर सचिव राजेंद्र सिंह ने विवि के कुलसचिव से बिंदुवार सभी आरोपों की जांच रिपोर्ट मांगी थी। इसके बाद अप्रैल में अपर सचिव राजेंद्र सिंह ने अपर सचिव कार्मिक एसएस वल्दिया की अध्यक्षता में चार सदस्यीय जांच समिति गठित की थी।

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जांच समिति में अपर सचिव वित्त अमिता जोशी, संयुक्त निदेशक आयुर्वेदिक एवं यूनानी कृष्ण सिंह नपलच्याल और ऑडिट अधिकारी रजत मेहरा भी सदस्य थे। यह जांच समिति अपनी जांच कर रही है। इस बीच बुधवार को शासन ने आयुर्वेद विवि के सभी मामलों की विजिलेंस जांच के आदेश जारी कर दिए। सचिव कार्मिक शैलेश बगोली ने विजिलेंस जांच आदेश जारी होने की पुष्टि की।

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योग अनुदेशकों के पदों पर जारी रोस्टर को बदलने, माइक्रोबायोलॉजिस्ट के पदों पर भर्ती में नियमों का अनुपालन न करने, बायोमेडिकल संकाय व संस्कृत में असिस्टेंट प्रोफेसर एवं पंचकर्म सहायक के पदों पर विज्ञप्ति प्रकाशित करने और फिर रद्द करने, विवि में पद न होते हुए भी संस्कृत शिक्षकों को प्रमोशन एवं एसीपी का भुगतान करने, बिना शासन की अनुमति बार-बार विवि की ओर से विभिन्न पदों पर भर्ती के लिए विज्ञापन निकालने और रोक लगाने, विभिन्न पदों पर भर्ती के लिए विवि की ओर से गठित समितियों के गठन की विस्तृत सूचना शासन को न देने के साथ ही पीआरडी के माध्यम से 60 से अधिक युवाओं को भर्ती करने का आरोप है।

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विजिलेंस जांच के शिकंजे में 2017 से लेकर 2022 के बीच कार्यरत रहे कई बड़े अधिकारी भी आ सकते हैं। हालांकि विजिलेंस जांच शुरू होने के बाद ही इस राज से पर्दा उठ सकेगा।

आयुर्वेद विश्वविद्यालय में शुरू होने जा रही विजिलेंस जांच की आंच विभाग के मंत्री रहे डॉ. हरक सिंह रावत तक भी पहुंच सकती है। सूत्रों के मुताबिक, उनके कार्यकाल में विभाग में तमाम नियुक्तियां हुईं। आयुर्वेद विवि में भी उनके कार्यकाल में नियुक्तियां हुई हैं। अब यह जांच रिपोर्ट आने के बाद ही स्पष्ट हो पाएगा कि कब कौन सी भर्ती सही हुई कौन सी नियमों के खिलाफ।

शासन ने अप्रैल माह में एसएस वल्दिया की अध्यक्षता में जो जांच समिति गठित की थी, उसे विवि प्रशासन दस्तावेज उपलब्ध नहीं करा रहा है। सूत्रों के मुताबिक, जांच समिति की ओर से कई बार रिमाइंडर भी भेजा जा चुका है। जल्द ही यह जांच समिति भी विवि में जांच के लिए जा सकती है।