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MEDIA LIVE : ईद और अक्षय तृतीया ने भी पेश की सौहार्द की मिशाल , आज मनाया जाएगा ईद और अक्षय तृतीया का त्योहार

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मीडिया लाइव, देहरादून : हिन्दू मुस्लिमों का त्यौहार ईद-उल-फितर और सनातनियों का अक्षय तृतीया का पावन पर्वआज ही मनाया जाएगा। इसी वजह से सोमवार को शहर के मुख्य बाजार खरीदारों से गुलजार रह। दोनों सम्प्रदायों के दो बड़े त्यौहार एक साथ आने से बाजारों में अच्छी खासी भीड़ जुटी। कारोबारियों ने इसका भरपूर फायदा उठाया।

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गौलतलब है बीते दो साल से कोरोना महामारी के कारन त्योहारों और बाजारों पर निगेटिव असर दर्ज किया गया। लेकिन इस बार कुछ रहत और महामारी के कम असर के चलते कारोबार अच्छा रहा और लोगो की भीड़ भी देखी गयी। इस बार दोनों पर्वों को लेकर लोगों में उत्साह है। इस साल लोग ईद पर कपड़े, ड्राई फ्रूट्स, सजावटी व इलेक्ट्रानिक सामान की खरीदारी कर रहे हैं। साथ ही अक्षय तृतीया पर भी लोग सोना-चांदी की खरीदारी के लिए निकल रहे हैं। इससे शहर के बाजारों में रौनक होने के साथ अच्छा कारोबार होने की उम्मीद है। सराफा मंडल के अध्यक्ष सुनील मेसोन ने बताया कि अक्षय तृतीया पर बीते दो साल के मुकाबले अबकी अच्छा कारोबार होने की उम्मीद है। लोग सोने के साथ चांदी और हीरे के आइटम भी खरीद रहे हैं।

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सहालग का सीजन होने से अभी से बाजार में आभूषणों की अच्छी खासी डिमांड है। नए हल्के वजन की ज्वेलरी लोगों की पहली पसंद बन रहे हैं। उधर, नायब सुन्नी शहर काजी अशरफ हुसैन कादरी ने समुदाय के लोगों से अपील की कि शांतिपूर्ण तरीके से ईद का त्योहार मनाएं। बताया कि दो मई को 30वां रोजे के साथ शव्वाल की पहली तारीख मंगलवार यानी आज होगी। शव्वाल के महीने के पहले दिन ईद होती है। कादरी ने समुदाय के सभी लोगों से शांति और सादगी से ईद का पर्व मनाने की अपील की। साथ ही उन्होंने ईदगाह के रास्ते में और घर लौटते समय भी शांत रहने का आह्वान किया है।

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अक्षय तृतीया के दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। साथ ही इस दिन विवाह, गृह प्रवेश, खरीदारी के लिए अबूझ मुहूर्त भी होता है। ज्योतिषाचार्य आचार्य डॉ. सुशांत राज व पंडित विष्णु प्रसाद भट्ट ने बताया कि तीन मई को मनाए जाने वाले अक्षय तृतीया का पर्व वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाया जाता है। इस बार अक्षय तृतीया पर तीन राजयोग बनने से यह और भी खास हो गया है। अक्षय का मतलब है कि जिसका क्षय न हो। मान्यता है कि अक्षय तृतीया के दिन किए गए कामों का क्षय नहीं होता या इस दिन किए गए कर्म बहुत ज्यादा लाभ देते हैं, इसलिए इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने, पूजा-पाठ करने, दान करने, खरीदारी करने का बहुत महत्व है।

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