UCC को ड्राफ्ट को लेकर कांग्रेस ने क्या कहा
मीडिया लाइव, देहरादून: प्रदेश में समान नागरिक संहिता यानी यूसीसी लागू करने के लिए गठित विशेषज्ञ समिति ने अपना मसौदा, रिपोर्ट सीएम पुष्कर सिंह धामी को सौंपी। कल कैबिनेट बैठक में यूसीसी ड्राफ्ट रिपोर्ट को मंजूरी मिलने के बाद इसे पांच फरवरी को विधानसभा में पेश किए जाने की उम्मीद है।

लेकिन सरकार के इस कदम को लेकर कांग्रेस नाखुश नजर आ रही है और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष का मानना है की सरकार को इस मसौदे की कॉपी हर हाल में कल तक सभी राजनीतिक दलों के जनप्रतिनिधियों बुद्धिजीवियों और पत्रकारों को उपलब्ध कराने को कहा है. उनका कहना है ताकि उसका अध्ययन कर आम जनहितों का हाल पता चल सके, इसके अलावा उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि हालांकि यह मामला केंद्र सरकार का है और इसे लागू करना भी केंद्र का ही पक्ष है भले ही राज्य सरकार अपनी पीठ थपथपा ले इससे कुछ होने वाला नहीं साथ ही सरकार यह भी बताएं की संविधान द्वारा प्रदत्त अधिकारों का हनन या अतिक्रमण तो इस कानून के द्वारा नहीं हो रहा है हमारे प्रदेश में एससी एसटी ओबीसी थारू बोक्षा भोटीया कई अन्य जनजातियों के अधिकारों पर तो या कानून अतिक्रमण नहीं कर रहा है ,, अगर सरकार का यह ड्राफ्ट प्रदेश और देश हित में सार्थक होगा तो कांग्रेस इसका स्वागत और समर्थन करेगी लेकिन अगर इसके द्वारा किसी भी जाति समुदाय और धर्म के व्यक्ति विशेष के अधिकारों पर अतिक्रमण होगा तो कांग्रेस इसका खुलकर विरोध करेगी साथ ही उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि मोदी और अमित शाह ने उत्तराखंड को एक प्रयोगशाला बना दिया है जहां पर वह अपनी सोच का बार-बार प्रयोग करते रहते हैं यह कानून भी उनकी सोच का एक प्रयोग मात्र ही है।
ऐसा हो सकता है सभावित ड्राफ्ट : देख लीजिये ऐसा हुआ तो किसको मिलेगा ज्यादा फायदा …..
1- लड़कियों की विवाह की आयु बढ़ाई जाएगी, जिससे वे विवाह से पहले ग्रेजुएट हो सकें।
2- विवाह का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य होगा। बगैर रजिस्ट्रेशन किसी भी सरकारी सुविधा का लाभ नहीं मिलेगा। ग्राम स्तर पर भी शादी के रजिस्ट्रेशन की सुविधा होगी।
3- पति-पत्नी दोनों को तलाक के समान आधार उपलब्ध होंगे। तलाक का जो ग्राउंड पति के लिए लागू होगा, वही पत्नी के लिए भी लागू होगा। फिलहाल पर्सनल लॉ के तहत पति और पत्नी के पास तलाक के अलग-अलग ग्राउंड हैं।
4- पॉलीगैमी या बहुविवाह पर रोक लगेगी।
5- उत्तराधिकार में लड़कियों को लड़कों के बराबर का हिस्सा मिलेगा। अभी तक पर्सनल लॉ के मुताबिक लड़के का शेयर लड़की से अधिक है।
6- नौकरीशुदा बेटे की मृत्यु पर पत्नी को मिलने वाले मुआवजे में वृद्ध माता-पिता के भरण पोषण की भी जिम्मेदारी होगी। अगर पत्नी पुर्नविवाह करती है तो पति की मौत पर मिलने वाले कंपेंशेसन में माता-पिता का भी हिस्सा होगा।
7- मेंटेनेंस: अगर पत्नी की मृत्यु हो जाती है और उसके माता पिता का कोई सहारा न हो, तो उनके भरण पोषण का दायित्व पति पर होगा।
8- एडॉप्शन: सभी को मिलेगा गोद लेने का अधिकार। मुस्लिम महिलाओं को भी मिलेगा गोद लेने का अधिकार, गोद लेने की प्रक्रिया आसान की जाएगी।
9- हलाला और इद्दत पर रोक होगी।
10- लिव इन रिलेशनशिप का डिक्लेरेशन आवश्यक होगा। ये एक सेल्फ डिक्लेरेशन की तरह होगा जिसका एक वैधानिक फॉर्मैट लग सकती है।
11- गार्जियनशिप- बच्चे के अनाथ होने की स्थिति में गार्जियनशिप की प्रक्रिया को आसान किया जाएगा।
12- पति-पत्नी के झगड़े की स्थिति में बच्चों की कस्टडी उनके ग्रैंड पैरेंट्स को दी जा सकती है।
13- जनसंख्या नियंत्रण को अभी सम्मिलित नहीं किया गया है।