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कोटद्वार से मूल निवास स्वाभिमान आंदोलन का शंखनाद हो गया है : मोहित

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मीडिया लाइव, कोटद्वार : युवाओं की अगुवाई में चल रहा मूल निवास और सक्ष्क्त भू कानून आन्दोलन योजना के तहत आगे बढ़ रहा है . इसी कड़ी में आज रविवार को कोटद्वार में मूल निवास और सख्त भू कानून बनाने की मांग को लेकर के रैली महारैली निकाली गई। यहाँ देवी रोड के तड़ियाल चौक, देवी मंदिर,मोटर नगर होते हुए रैली लाल बत्ती चौक बदरीनाथ मार्ग से कोटद्वार तहसील तक रैली निकाली गई। इस दौरान हल्द्वानी में हुई घटना को लेकर ‘मूल निवास, भू- कानून समन्वय संघर्ष समिति’ ने राज्य सरकार पर निशाना साधा। समिति के संयोजक मोहित डिमरी ने कहा कि अगर प्रदेश में मूल निवास और मजबूत भू कानून लागू होता तो इस तरह की अप्रिय घटना नहीं होती। उन्होंने हल्द्वानी की घटना की कड़ी भर्त्सना करते हुए कहा कि देवभूमि की पहचान शांति की रही है और यह कायम रहनी चाहिए .

डिमरी ने कहा कि सीएम पुष्कर सिंह धामी जिन बाहरी तत्वों को प्रदेश की शांति के लिए खतरा बताते हैं और जिनके खिलाफ सख्त एक्शन लेने की बात करते हैं लेकिन ये नहीं बताते हैं कि आखिर वे उनकी पहचान करेंगे वह कैसे ? उन्होंने कहा कि मूल निवास और मजबूत भूमि कानून किसी भी बाहरी तत्व के खिलाफ सबसे असरदार हथियार है।  उन्होंने कहा कि गढ़वाल मंडल के द्वार कोटद्वार से मूल निवास स्वाभिमान आंदोलन का शंखनाद हो गया है, जो तेजी से व्यापक रूप लेगा. इसे गाँव तक ले जाया जा रहा है . उन्होंने कहा कि आज राज्य का युवा समझ गया है कि किस तरह उनके हकों पर डाका डलवाया जा रहा है . उनके पुरखों की बेशकीमती जामीने कौड़ी के बाव बाहरी लोगों को बेचीं जा रही हैं. ग्रामीण इलाकों के प्राकृतिक संसाधनों पर कब्जा जमाया जा रहा है .

lयह धरती क्रांतिकारियों की धरती है। यहां से इस आंदोलन का संदेश पूरे पहाड़ में जाएगा। और एक नई क्रांति की शुरूआत होगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश में न केवल हल्द्वानी बल्कि तमाम दूसरे इलाकों में भी अवैध अतिक्रमण मौजूद हैं, जिनके खिलाफ सरकार बुलडोजर चलाने की बात कहती है, लेकिन असल समाधान बुलडोजर नहीं बल्कि मजबूत भू-कानून है.

वहीं समन्वय समिति के सदस्य पार्षद परवेंद्र सिंह रावत, पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष रमेश भंडारी ने कहा कि सरकार पहाड़ के लोगों के साथ भेदभाव कर रही है। अतिक्रमण के बहाने पहाड़ी क्षेत्रों में कई लोगों की दुकानें और मकान तोड़े गए, वहीं अवैध बस्तियों को हटाने के बजाय उन्हें राहत देते हुए रातों-रात अध्यादेश लाया गया। सरकार के दोहरे चरित्र को जनता समझने लगी है।

वक्ताओं ने कहा कि उत्तराखंड की अस्मिता तभी बचेगी, जब मूल निवास और मजबूत भू कानून लागू होगा। डबल इंजन की सरकार होने के बावजूद मूल निवास 1950 लागू न होना भाजपा सरकार को सवालों के घेरे में लाती है।