आरटीआई पर सीडीओ पौड़ी ने दिए निर्देश
मीडिया लाइव : मुख्य विकास अधिकारी ने जिले के सभी विभागों के लोक सूचना अधिकारियों को सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत कई जरूरी जानकारियां दी। सूचना का अधिकार अधिनियम पर दो दिवसीय कार्यशाला में मुख्य विकास अधिकारी विजय कुमार जोगदंडे ने विभागों को मांगी गई सूचना के अनुसार ही सूचना मांगने वाले को सूचना उपलब्ध कराने के निर्देश दिए।
विकास भवन सभागार में आयोजित कार्यशाला की अध्यक्षता करते हुए सीडीओ ने विभागों के लोक सूचना अधिकारियों को सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के उद्देश्य बताए। अधिनियम के तहत धारा 4(1)बी, 4(2), 4(3), 4(4) समेत आदि की जानकारियां दी। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड सूचना आयोग की गाइड लाइन के अनुसार अधिक दस्तावेज वाले सूचनाओं में आरटीआई कार्यकर्ता से कागज, सीडी तथा फ्लापी का शुल्क लिए जाने का प्राविधान है। जिसका विभाग पूरा उपयोग कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि आरटीआई के तहत सूचना मांगने वाले को विभाग से संबंधित सूचना की मूल प्रति की ही फोटो कापी उपलब्ध कराई जानी चाहिए।
कई विभागों को आरटीआई अधिनियम 2005 की पूरी जानकारी नहीं है। कार्यशाला में उन्होंने लोक सूचना अधिकारियों को तय समय पर सूचनाएं निर्धारित प्रारूप पर भेजने को कहा। सूचना देने में किसी भी प्रकार की आनाकानी नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि अधिनियम के तहत अभिलेखों को रिकार्डिंग करने एवं नष्ट करने के लिए निर्धारित अवधि तय की गई है। उन्होंने उत्तराखंड सूचना आयोग की ओर से अभिलेखों की सूचनाएं देने के लिए निर्धारित की गई समय सारणी बताई। कहा कि आयोग के अनुसार उपस्थित पंजी को एक वर्ष, आकस्मिक अवकाश पंजी को समाप्त होने के एक वर्ष बाद, आडिट पत्रावलियां एक वर्ष, आय-व्ययक भुगतान की पत्रावलियां दस वर्ष, लेखन सामग्रियों व प्रपत्रों के मांग पत्र आदि तीन वर्ष, गोपनीय आख्याएं व गोपनीय चरित्र पंजिकाएं सेवा निवृत्ति, पद त्याग के तीन वर्ष बाद अभिलेखों को समाप्त किया जा सकता है।
सीडीओ ने भारत सरकार के विधि एवं न्याय मंत्रालय की भी जानकारियां दी। उन्होंने केंद्रीय व राज्य सूचना आयोग की कार्यप्रणाली, शक्तियां, कृत्य व अपील की जानकारियां दी। उन्होंने कहा कि विभाग चाही गई किसी भी सूचना का निर्माण नहीं करेंगे। बल्कि जैसी सूचना मांगी गई है उसका उतना ही जवाब दिया जाए। इस मौके पर आरटीआई के नोडल अधिकारी व परियोजना अर्थशास्त्री दीपक रावत, डीपीआरओ सुरेंद्र नाथ, विधि विशेषज्ञ मित्रानंद कपरवाण समेत