पाँच जवानों की शहादत की बड़ी खबर, दब कर रह गयी
मीडिया लाइव: भारत के प्राक्रमी जांबाज विंग कमाण्डर अभिनन्दन वर्धमान की वतन वापसी और अभिनन्दन की गर्मजोशी की खबर के नीचे उन पाॅंच सीआरपीएफ जवानों की शहादत की खबर दब कर रह गयी, जो आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में शहीद हो गये। जबकि पाॅंच जवान जख्मी भी हुए है। इनके अलावा एक स्थानीय नागरिक की भी मौत हुई है। लेकिन इस सर्वोच्च बलिदान की खबर को कहीं प्रमुखता से जगह नहीं दी गयी। सारे मीडिया प्लेट फाॅर्म बस एक ही जगह ध्यान केंद्रित किये रहे। जबकि 14 फरबरी को पुलवामा अटैक में सीआरपीएफ और उसके बाद कुल मिलाकर सेना और अर्धसैनिक बलों के 55 से ज्यादा सैकिन अपनी प्राणों की आहुति दे चुके हैं। एयर स्ट्राइक की बेतहाशा खबरों के बाद सड़कों पर दिखने वाली भीड़ का ध्यान और आक्रोश भी लगातार हो रही शहादतों की तरफ से हटता जा रहा है। मीडिया का एक बड़ा तबका जिन खबरों को अपनी सुविधा के लिहाज से प्राथमिकता से दिखा रहा है। लोगों का ध्यान सिर्फ उन्ही की तरफ है।
जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा जिले में सीआरपीएफ के सुरक्षाबलों व सेना के जवानों और आतंकवादियों के बीच शुक्रवार को मुठभेड़ हुई। जिसमें एक अधिकारी सहित पांच जवान शहीद हो गये। अधिकारियों के मुताबिक मारे गए लोगों में सीआरपीएफ के एक निरीक्षक और एक जवान, सेना के दो जवान तथा एक पुलिस कर्मचारी हैं। देश के वो परिवार मुश्किलों के दौर से गुजर रहे हैं, जिन्होेंने अपने घर के चिराग खो दिये। सड़कों और सोशल मीडिया पर प्राक्रम दिखाने वाले आभासी जांबाजों ने इन सहादतों पर अपनी जुबान तक नहीं खोली। आम लोग भी कहींं कैंंडिल जलाते हुए, नही दिख ट्रोलर ने शहीदों के परिजनों तक को निशाना बनाया। उनकी शहादत पर तक सवाल उठाये। यहां तक कि अभिनंदन के पाकिस्तान में फंसने पर उनकी जगह खुद के होने पर खुद को गोली मारने जैसी घृणित बातें तक सोशल मीडिया पर लिखी। कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि सियासी एजेण्डे को येनकेन प्रकारेण सही ठहराने के लिए घृणा परोसने का काम बहुत तेजी से चल रहा है। सोशल मीडिया पर आभासी योद्धाओं ने हंगामा मचा रखी है। ऐसे लोगों का न तो देश से कोई सरोकार है और न भारतीय सेना के जवानों और सुरक्षाबलों की शहादत से ही। लेकिन इस सबके बावजूद मीडिया का एक बड़ा तबका फिजूल की खबरों को तूल देने से बाज नहीं आ रहा है। जिस पर देश के जिम्मेदार नागरिकों खुद को सियासत और सत्ता हासिल करने वाले कुचक्रों से बचाना होगा। अपने बुद्धि-विवेक पर अपना नियंत्रण रखें, किसी भी प्रायोजित अफवाह और खबर के रूप में परोसी जा रही सामग्री का अपने स्तर पर भी आंकलन करें।