बहन अंकिता को न्याय दिलाने की मुहिम यूंही जारी रहनी चाहीए : प्रतीक बिष्ट
To all the #youngsters of #Uttarakhand and specially #garhwal who were on streets for #Ankita the daughter of #India ?? while “So called political leaders”were in their #Dens .

बहन #अंकिता_भंडारी के मामले को पहाड़ी उत्तराखंडी युवाओं ने जिस तरह से उठाया, उसने यह दिखा दिया कि अगर कोई हमारी #बहन #बेटियों की ओर आँख उठाएगा, तो परिणाम अच्छा नही होगा। युवाओं ने बता दिया की उत्तराखंड में बिना किसी राजनैतिक पार्टियों के नेताओं के बग़ैर भी पहाड़ी युवा किसी भी मजबूत से मजबूत सरकार को झुका सकता है। उसे उसकी जिम्मेदारी का एहसास करा सकता है। इसके लिए मैं सभी युवाओं का धन्यवाद करता हूं। इसलिए कि सभी संगठनों के युवाओं ने अपनी अपनी राजनीतिक पार्टियों और जाति-घर्म और क्षेत्र से ऊपर उठकर उत्तराखंड की बेटियों की अस्मिता और आबरू बचाने की लड़ाई सामूहिक रूप से लड़ रहे हैं ।
मुझे कहने में बिल्कुल गुरेज नहीं है कि जब नेता चुनाव लड़ते हैं, तो उनकी जीत में सबसे बड़ा हाथ युवाओं का होता है। झंडा हो या डंडा युवा ही उठाते हैं। सबसे अधिक भाग दौड़ युवा ही करते हैं। नारे लगाने से लेकर डंडे झंडे तक युवा ही उठाते हैं।
क्योंकि वे अपने नेता को दिल से जिताना चाहते हैं। क्योंकि युवाओं को भरोसा होता है कि जब उनका नेता चुनाव जीतेगा, तो क्षेत्र का विकास होगा । युवाओं का भला होगा, नौकरियाँ मिलेंगी, नई भर्तियाँ आएँगी, स्वरोज़गार के नए अवसर आएँगे।
पर जब पिछले 2-3 महीने से युवा जगह-जगह सड़कों पर हैं। विधानसभा भर्ती घपला, UKSSSC पेपर लीक मामला। सबमें पहाड़ के युवाओं के अरमानों का गला घोंटने का काम किया गया। अब पूरे राज्य के युवा जिस तरह बहन #अंकिता के लिए न्याय की लड़ाई सड़कों पर लड़ रहा है, वह वाकई इस प्रदेश की मां बहनों की अस्मिता koo बचाने के लिए बेहद जरूरी है।
युवा साथियों हालाँकि मैं इस संवेदनशील मौके पर कोई सियासी टिप्पणी नहीं करना चाहता था, पर #पहाड़ी #युवाओं की अन्याय के ख़िलाफ़ एकता, जज़्बा देखते हुए, ग़लत को ग़लत कहने का साहस
और अखंडता को मैं प्रोत्साहित करता रहूंगा। अंत में बहन अंकिता को न्याय दिलाने की मुहिम यूंही जारी रहनी चाहिए।
प्रतीक बिष्ट
अध्यक्ष- बद्री केदार सेना