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SC ने टिप्पणी के साथ फांसी की सजा को बदला उम्रकैद में

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मीडिया लाइव : मौत की सजा पर पूरे विश्व में बहस चल रही है, इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने मृत्युदंड के एक मामले में बेहद महत्वपूर्ण टिप्पणी की। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि किसी भी मुजरिम को मौत की सजा तभी सुनाई जाए, जब उस मामले में आजीवन कारावास की सजा भी अनुचित लगे यानी अपराध के हिसाब से सजा कम दिखाई दे। सर्वोच्च अदालत ने साल 2015 में 5 साल की नाबालिग बच्ची के साथ दुष्कर्म करने के बाद उसकी हत्या करने के दोषी आरोपी को सुनाई गई फांसी की सजा को 25 साल कैद में तब्दील करने के मौके पर यह टिप्पणी की है.

गौरतलब है कि मध्य प्रदेश के सतना के एक स्कूल की बस के ड्राइवर सचिन कुमार सिंगराहा ने फरवरी, 2015 में 5 साल की बच्ची से दुष्कर्म करने के बाद उसे मारने के इरादे से घायल कर दिया था। बाद में बच्ची की अस्पताल में मौत हो गई थी। सचिन को निचली अदालत और फिर हाईकोर्ट ने दोषी करार देते हुए फांसी की सजा सुनाई थी। ड्राइवर ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी, जिस पर मंगलवार को जस्टिस एनवी रमाना, जस्टिस एमएम शांतानागौदार और जस्टिस इंद्रा बनर्जी ने सुनवाई की।

सुनवाई के दौरान तीनों जजों ने ड्राइवर की दोषमुक्त किए जाने की अपील को खारिज कर दिया। लेकिन साथ ही उसे निचली अदालत और फिर हाईकोर्ट से बरकरार रखी गई फांसी की सजा को भी खारिज कर दिया और कहा कि आरोपी के खिलाफ सुबूत मौजूद हैं, लेकिन रिकॉर्ड में सुबूतों की विसंगतियां और प्रक्रियागत खामी भी दर्ज की गई थी। इस टिप्पणी के साथ पीठ ने फांसी की सजा को 25 साल कैद की सजा में तब्दील कर दिया।