गढ़वाली के आरम्भिक कवि की याद में हरेला
मीडिया लाइव, देहरादून: सामाजिक और सांस्कृतिक संस्था धाद के बैनर तले डोईवाला ब्लॉक के राजकीय इंटर कॉलेज बड़ोवाला में हरेला कार्यक्रम केे तहत पौधरोपण किया गया. इस मौके पर गढ़वाली के आरंभिक दौर के कवि जयदेव बहुगुणा को याद किया गया.
बड़ोवाला इंटर कॉलेज में विद्यार्थियों को उत्तराखंड की लोकभाषाओं से रूबरू कराया.जिसमें गढ़वाली कवियत्री बीना कंडारी ने गढ़वाली भाषा के आरंभिक दौर के कवि जयदेव बहुगुणा और गढ़वाली भाषा के इतिहास के बारे मैं विचार साझा किये उन्होंने बताया की 1750 मैं लिखी गयी कविता “रंच जुड़यां पंच जुड़यां जूड गी घिमसाण जी”गढ़वाली भाषा की पहली कविता कही जाती है.यह बताता है कि गढ़वाली भाषा में मौलिक लेखन और साहित्य सृजन की परंपरा बहत पुरानी है, तब से अब तक गढ़वाली भाषा में काफी मौलिक लेखन हुआ है. उन्होंने आशा जताई कि अब हमारे पास अपना राज्य है ऐसे में यह बेहद जरूरी हो जाता है कि राज्य इन भाषाओँ पर गंभीरता से काम करे और ये तय हो कि हमारे राज्य के छात्र हमारी भाषाओँ और उनके इतिहास से परिचित हों. वहीं हिमालयन विश्वविद्यालय जौली ग्रांट के डीन एस पी थपलियाल ने हरेला की पहल का स्वागत करते हुए कहा की ग्लोबल वार्मिंग का संकट पूरी दुनिया पर मंडरा रहा है जलवायु परिवर्तन के कारण कई ऊँचे स्थानों पर वृक्ष फल उत्पादन नहीं कर पा रहे हैं.उन्होंने कहा की उत्तराखंड की धरती पेड़ों के लिए सर्वाधिक उपयुक्त है इसलिए ऐसे सभी स्थानीय अभियान महत्वपूर्ण है,जो समाज को वृक्षारोपण हेतु प्रेरित करते हैं छात्रों को संबोधित करते हुए विद्यालय के प्रधानाचार्य हरेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि ये अच्छी बात है कि हरेला प्रकृति और समाज दोनों को एक साथ परिचय करवा रहा है.हमारे छात्र अपने प्रदेश की भाषाओँ से परिचित हो रहे हैं.जिनसे उनका अन्यथा परिचय नहीं हो पाता. कार्यकर्म में सांस्कृतिक पक्ष आकाशवाणी की पूर्व निदेशक डॉ.माधुरी बर्थवाल ने रखा.इस मौके पर लोकेश नवानी विजय लक्ष्मी पुरोहित उषा रावत सुजीत कंडारी विजय जुयाल आदि उपस्थित थे.