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उत्तराखंड में होगा सिलिका रेत का खनन, निकासी स्थल चिह्नित, क्या है ये रेत ?

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मीडिया लाइव, देहरादून: भूतत्व एवं खनिकर्म विभाग कुमाऊं और गढ़वाल मंडल की नदियों में खनन करता है। इसके अलावा बागेश्वर में खड़िया की निकासी होती है। इससे विभाग को खासा राजस्व प्राप्त होता है।अब विभाग नए क्षेत्र में राजस्व तलाश कर रहा है।

प्रदेश में पहली बार कांच उद्योग समेत अन्य जगहों में उपयोग में आने वाली सिलिका रेत के खनन की तैयारी है। इसके लिए उत्तरकाशी में नौ जगहों (215 हेक्टेयर) को चिह्नित किया गया है। इसके खनन की तैयारी में भूतत्व एवं खनिकर्म विभाग जुट गया है।

हर साल 15 लाख टन सिलिका रेत निकालने की योजना है। अभी तक भूतत्व एवं खनिकर्म विभाग कुमाऊं और गढ़वाल मंडल की नदियों में खनन करता है। इसके अलावा बागेश्वर में खड़िया की निकासी होती है। इससे विभाग को खासा राजस्व प्राप्त होता है।

अब विभाग नए क्षेत्र में राजस्व तलाश कर रहा है। इसी के तहत उत्तरकाशी जिले में सिलिका रेत के खनन की तैयारी है। इसके लिए उत्तरकाशी में नौ जगहों को चिह्नित किया गया है। विभागीय अधिकारियों के अनुसार, सिलिका रेत से जुड़ी टेस्टिंग का काम भी हो चुका है। अब चिह्नित जगहों का सत्यापन का काम चल रहा है।

इसमें जहां पर सिलिका रेत निकाला जाना है, वह भूमि राजस्व, वन विभाग या निजी है, उसके बारे में पता किया जा रहा है। विभाग की हर साल 15 लाख टन सिलिका रेत निकालने की योजना है। इस कार्य को बोली के माध्यम से दिया जाएगा। इसका बेस लाइन मूल्य 15 करोड़ रुपये रखा जाएगा।

सिलिका रेत के खनन से पहले कई प्रक्रियाओं को पूरा करना होगा। इसमें खनन योजना, सीमांकन, पीसीबी की अनुमति से लेकर पर्यावरणीय स्वीकृति प्राप्त करनी होगी। इसके बाद खनन शुरू हो सकेगा। विभाग का प्रयास है कि इस महीने टेंडर से जुड़ी प्रक्रिया को पूरा कर लिया जाए।

महानिदेशक, भूतत्व एवं खनिकर्म विभाग के राजपाल लेघा बताते हैं कि राज्य में पहली बार सिलिका रेत की निकासी की योजना है, यह कार्य उत्तरकाशी जिले में होगा। इसके लिए जगहों को चिह्नित किया गया है। अन्य प्रक्रियाओं को पूरा किया जा रहा है। इससे करीब ढाई सौ करोड़ का राजस्व प्राप्त होगा।

क्या है सिलिका रेत जानिए विस्तार से : 

सिलिका रेत एक प्राकृतिक खनिज है, जो सिलिकॉन और ऑक्सीजन के संयोजन से बनता है। यह एक महत्वपूर्ण खनिज है, जिसका उपयोग विभिन्न उद्योगों में किया जाता है। सिलिका रेत के बारे में विस्तृत जानकारी निम्नलिखित है:

सिलिका रेत का रासायनिक सूत्र: SiO2 (सिलिकॉन डाइऑक्साइड)

सिलिका रेत के गुण:

1. रंग: सिलिका रेत का रंग सफेद या हल्का भूरा होता है।
2. बनावट: यह एक महीन या मोटी रेत होती है।
3. घनत्व: सिलिका रेत का घनत्व 2.65 ग्राम/सेमी³ होता है।
4. पिघलने का तापमान: सिलिका रेत का पिघलने का तापमान 1610°C होता है।
5. उपयोग: सिलिका रेत का उपयोग ग्लास, सीमेंट, कॉन्क्रीट, फिल्टर, और पेंट में किया जाता है।

सिलिका रेत के उपयोग:

1. ग्लास उद्योग: सिलिका रेत का उपयोग ग्लास बनाने में किया जाता है।
2. सीमेंट उद्योग: सिलिका रेत का उपयोग सीमेंट बनाने में किया जाता है।
3. कॉन्क्रीट उद्योग: सिलिका रेत का उपयोग कॉन्क्रीट बनाने में किया जाता है।
4. फिल्टर उद्योग: सिलिका रेत का उपयोग जल शोधन में किया जाता है।
5. पेंट उद्योग: सिलिका रेत का उपयोग पेंट बनाने में किया जाता है।

सिलिका रेत के लाभ:

1. उच्च तापमान प्रतिरोधकता
2. उच्च शुद्धता
3. अच्छी बनावट
4. कम लागत
5. व्यापक उपलब्धता

सिलिका रेत के नुकसान:

1. स्वास्थ्य समस्याएं (सिलिकोसिस)
2. पर्यावरण प्रदूषण
3. खनन के दौरान खतरे
4. उच्च ऊर्जा खपत