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चुनाव को खेल भावना से देखें: संजय डोभाल

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मीडिया लाइव, बड़कोट: उत्तराखंड में इन दिनों चारों तरफ निकाय चुनावों का शोर मचा हुआ है। आरोप प्रत्यारोप में शब्द बाण चल रहे हैं। कहीं कहीं तो उम्मीदवार इतने आग बबूला और बौखलाए हुए नजर आ रहे हैं कि निजी हमले करने से भी बाज नहीं आ रहे हैं। चुनाव जीतने के लिए हर तिकड़म लड़ाई जा रही है। ऐसे में चुनावी प्रचार को एक समय सीमा में खत्म होना है लेकिन सामाजिक सौहार्द और भाई बंदी कायम रहनी है। इसे ध्यान में रखा जाना बेहद जरूरी है। कुछ इसी बात को बेहद गम्भीर तरीके से उत्तराखंड के एक विधायक ने सामने रखा है।

दरअसल उत्तरकाशी जिले की यमनोत्री विधानसभा से निर्दलीय विधायक संजय डोभाल ने अपनी राजनैतिक और सामाजिक छवि के तहत ही निकाय चुनाव के तमाम उम्मीदवारों से एक सहज अपील अपने फेसबुक पोस्ट के जरिए की है।

संजय डोभाल ने लिखा है कि इन दिनों उत्तराखंड में नगर निकाय चुनाव चल रहे है, मैं अपने उन सभी साथियों से निवेदन करता हूं जो इस बार नगर निकाय चुनाव में प्रतिभाग कर रहे है, कि चुनाव को खेल की भावना से देखते हुए आपसी संबंध न बिगाड़े और भाईचारा बनाकर रखें, इतने उत्साहित न हों कि दूसरों को ठेस पहुंचे, क्योंकि चुनाव संपन्न होने के बाद हारने वाले भी हमारे ही है, और जीतने वाले भी हमारे ही है ,, आपसी मतभेद खत्म करके गांव व क्षेत्र के विकास में सभी लोग भागीदार बनें, जो बन जायेगा वह सबका, और उसके लिए सब है,, राजनीति में सिद्धांतो के सवाल पर मतभेद हो सकते हैं, लेकिन इसका यह अर्थ नहीं होना चाहिए कि हम लोग एक दूसरे के ख़ून के प्यासे हो जाएं या एक दूसरे पर इस प्रकार कीचड़ उछालें कि हमारे लिए कोई ईमान ही न रह जाए।

डोभाल ने लिखा है कि मैं मानता हूँ कि राजनीति हमारे जीवन का 10-12 प्रतिशत हिस्सा ही हो सकता है । 80 प्रतिशत तो मानव ऐसा ही होता है, जिसमें व्यक्तिगत संबंध , एक दूसरे के लिए सदभाव स्नेह और ममत्व होता है। यही मूल्य हमारे जीवन को एक दिशा में ले जाते हैं। अगर इनसे विहीन हमारा जीवन हो और केवल राजनीतिक मतभेदों के कारण हम एक दूसरे के बारे में कुछ भी अच्छा न सोच सकें तो यह एक दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति होगी ।
राजनीति में किसी भी अप्रिय शब्दों या भावनाओं से एक दूसरे को कष्ट न पहुंचाएं और राजनीति में आपसी संबंध को खराब ना करें, सब के विचार एक जैसे नहीं होते लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि हम राजनीति के चक्कर में एक दूसरे का सम्मान भूल जाएं।

एक अच्छे नेता का मकसद साफ-सुथरी राजनीति के साथ ही लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा करना, लोगों की आवाज को जगह देना और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को सुनिश्चित करना होता है।
सब इंसान बराबर हैं, चाहे वो किसी धर्म या जाति के हों । हमें ऐसा उत्तराखंड बनाना है जहाँ सभी धर्म और जाति के लोगों में भाईचारा और मोहब्बत हो, न कि नफ़रत और बैर हो।
और मैं जनता जनार्दन से भी निवेदन करता हूं की जब राजनीति हमारी ज़िंदगी के तमाम पहलुओं को प्रभावित करती है, तो यह तय करना हमारी ज़िम्मेदारी है कि हमारी राजनीति कैसी होगी ।