विज्ञान नहीं,अन्धविश्वास को दिया जा रहा बढ़ावा
मीडिया लाइव, देहरादून: मीडिया लाइव, देहरादून : विज्ञान एवं वैज्ञानिक शोध संस्थाओं पर गक जाहे गमलों के खिलाफ अखिल भरतीय जन विज्ञान नेटवर्क के आहवान 14 अप्रैल को डॉ. भीम राव आम्बेडकर की जयंती पर पूरे देश में विज्ञान के लिए मार्च किया गया. इस मौके पर भारत ज्ञान विज्ञान समिति ने गाँधी पार्क से घंटाघर तक मार्च निकाला और एक विज्ञान को पीछे धकेलने वाली नीतियों के खिलाफ जागरूकता जगाने को लेकर विचार गोष्ठी आयोजित की.
भारत ज्ञान विज्ञान समिति के वैनर तले देश भर में विज्ञान एवं वैज्ञानिक शोध संस्थानों पर किये जा रहे हमलों तथा आर्थिक कटौती के विरुद्ध 9 अगस्त 2017 को भी देशभर में विज्ञान के लिए मार्च आयोजित किया गया. पर हमले आज भी जारी हैं. इसलिए 14 अप्रैल को पूरी दुनिया में यह मार्च किया गया. इस मौके पर विज्ञान के जानकारों ने चिंता जहिर करते हुए कहा कि पिछले कुछ सालों से विज्ञान विरोधी माहौल बनाया जा रहा है. यहाँ तक सरकर में बैठे लोग ही वैज्ञानिक डार्विन की खोजों को ही झुटलाने का प्रयास किया. देश में विज्ञान एवं तर्क व विवेक की बजाय रूढ़िवाद और अंधविश्वास को बढ़ावा दिया जा रहा है.
वक्ताओं ने गहरी चिंता जाहिर करते हुए कहा ! तर्कशील वैज्ञानिकों पर हमले हो रहे हैं. तथ्यों को झुटलाने का कुत्सित प्रयास हो रहा है. सियासी ध्रुविकरण के लिए मिथको को इतिहास बनाकर पेश किया जा रहा है. यह चिंता का विषय है , इस तरह से देश की वैज्ञानिक उपलब्धियां गुम हो जाएंगी। ऐसे में समाज में तथ्यों की तुलना में मिथकों को मान्यता मिलेगी, देश पीछे चला जायेगा. विज्ञान विरोधी माहौल बनता जा रहा है. यह केवल भारत में ही नहीं हो रहा इस काम दुनिया के कई सियासी और पूँजी पति ताकतें लगी हुयी हैं. देश में विज्ञान, तकनीकी और प्रयोग व शोध के बजट में कटौती के जा रही है. आखिर इसके पीछे के कारण क्या हैं. जन विज्ञान आंदोलन देश के विकास के लिए विज्ञान एवं तकनीकी शोध पर ज्यादा से ज्यादा बजट की ब्यवस्था की ब्यवस्था की जाये. मानव संसाधन को बढ़ावा दिया जाये. रूढ़िवादी और अन्धविश्वास का उन्मूलन कर विज्ञान और तकनीकी की उन्नति की दिशा में ज्यादा ध्यान दिया जाये. औद्योगिक शोध परिषद सीएसआईआर को बाजार से पचास फ़ीसदी धन जुटाने वाले आदेश को वापस लिया जाये.इस मौके पर समिति के महाससचिव एसएस रावत, केके कटारिया , बच्ची राम कौंसवाल, हरी किशन राय, कमलेश खंतवाल, सतीश धौलाखण्डी, नितेश, परिषद अध्यक्ष एसपी सेमवाल, हरीश जोशी सहित बुद्धिजीवियों, शिक्षाविदों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, आदि ने विचार रखे.