उत्तराखण्ड न्यूज़

मुफ्ती शमून कासमी ने बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ अत्याचार की कड़ी निंदा की

FacebookTwitterGoogle+WhatsAppGoogle GmailWeChatYahoo BookmarksYahoo MailYahoo Messenger

मीडिया लाइव, देहरादून : हिंसा और अन्याय के ऐसे कृत्य न के वल अमानवीय हैं, बल्कि शांति, सह-अस्तित्व और आपसी सम्मान के बुनियादी सिद्धांतों के भी खिलाफ हैं, जिनका पालन हर आस्था और सभ्य समाज करता है। बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिन्दू बांग्लादेशियों पर हो रहे अत्यचार से स्तब्ध हो कर ये कहना है अध्यक्ष, उत्तराखंड मदरसा शिक्षा बोर्ड संस्थापक, सर्वधर्मएकता संघ के मुफ्ती शमून कासमी का।

एक पत्र जारी करते हुए कास्मि ने कहा है कि सांप्रदायिक सौहार्द्रऔर अंतर-धार्मिक संवाद के एक मजबूत समर्थक के रूप में, मैं इन हमलों की कड़ी से कड़ी निंदा करता हूं। बांग्लादेश सहित सभी सरकारों के लिए यह अनिवार्य है कि वे प्रत्येक नागरिक की सुरक्षा, गरिमा और अधिकार सुनिश्चित करें, चाहे उनकी धार्मिक या जातीय पहचान कुछ भी हो। किसी भी अल्पसंख्यक समुदाय को निशाना बनाना मानवाधिकारों का गंभीर उल्लंघन हैऔर किसी भी राष्ट्र के सामाजिक ताने-बाने के लिए खतरा है। उन्होंने कहा है कि बांग्लादेशी अधिकारियों सेअपराधियों के खिलाफ त्वरित और निर्णायक कार्रवाई करने, पीड़ितों के लिए न्याय सुनिश्चित करनेऔर सभी अल्पसंख्यक समुदायों को सम्मान और सम्मान के साथ रहनेके लिए एक सुरक्षित वातावरण प्रदान करने का आह्वान करता हूं।

कासमी ने कहा है कि बांग्लादेश सरकार सेआग्रह करता हूं कि वह इन जघन्य कृत्यों के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ त्वरित और निर्णायक कार्रवाई करके इन सिद्धांतों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता प्रदर्शित करे। इसे भविष्य में ऐसी घटनाओ को रोकने के लिए उपाय भी लागू करने चाहिए, यह सुनिश्चित करते हुए कि अल्पसंख्यक बिना किसी डर के रहेंऔर उन्हेंअपनी मातृभूमि मेंपनपनेके समान अवसर प्रदान किए जाएं ।

उन्होंने कहा सच्ची ताकत एकता और करुणा में निहित है। नेताओ , धार्मिक विद्वानों और सभी समुदायों के व्यक्तियों सेआग्रह करता हूं कि वे हिंसा के इन कृत्यों की निंदा करने के लिए एकजुटता के साथ खड़े हों और एक ऐसी दुनिया की दिशा में काम करें जहां विविधता का जश्न मनाया जाए और हर इंसान के साथ वह सम्मान किया जाए जिसके वेहकदार हैं।