MEDIA LIVE : विभिन्न मांगों को लेकर बीरोंखाल के सीला तल्ला का युवा जंगल में बैठा भूख हड़ताल पर
MEDIA LIVE NEWS PAURI GARHWAL BIRONKHAL
मीडिया लाइव: विभिन्न मांगो को लेकर क्षेत्र का एक युवा आखिर क्यों जंगल में जाकर अर्ध नग्न अवस्था में इस ठंड के मौसम में भूख हड़ताल के साथ धरने पर बैठने को मजबूर हो गया। आम पहाड़वासियों की जरूरतों और उनकी समस्याओं का आमूलचूल समाधान करने में भी सरकार अगर विफल रही है तो, इस पर जनता के पास अपनी मांग मनवाने और पहुंचाने के लिए शायद लोकतंत्र में यही एक रास्ता बच जाता है।
पौड़ी गढ़वाल जिले के बीरोंखाल खंड के सीला तल्ला गांव निवासी युवा राज्य निर्माण के बाद हुए पलायन को लेकर दुखी है। यहां सरकार पर पर्वतीय क्षेत्रों की उपेक्षा का आरोप लगाया जा रहा है। इन युवाओं का कहना है कि चाहे गांवों को सडक से जोडने का विषय हो अथवा स्वास्थ्य सुविधाएं , इन्हें भाषणों में जगह तो मिली परन्तु धरातल पर इनके दर्शन दुर्लभ हैं।
जंगल में रहकर एवं ऊपरी भाग के वस्त्र त्यागकर भूख हड़ताल पर जाने का फैसला इन युवाओं ने ले लिया है और राज्य सरकार से क्षेत्र की जरूरतो को देखते हुए अपनी मांगे कुछ इस तरह रखी हैं।
पहाड़ों में उचित स्वास्थ्य सुविधाएं ( सांप के डसने से हुई मृत्युओं का आंकड़ा सरकार को देखना चाहिए साथ ही हर CHC , PHC में इसका टीका उपलब्ध कराना चाहिए । यह टीका अस्पतालों में नहीं मिलता है, गर्भवती महिलाओं के साथ जो खिलवाड़ पर्वतीय अस्पतालों में होता है शायद ही कहीं होता हो, हर हफ्ते किसी न किसी गर्भवती महिला की मौत की खबर उत्तराखंड में आम है।
2. भू कानून (#उत्तराखंड_मांगे_भू_कानून) को सोशल मीडिया पर शुरू करने वाले सदस्यों में एक होने के नाते और इस मुहिम की मूल भावना भू कानून के साथ कृषि बागवानी की नीति में बदलाव जिसके द्वारा जमीन भी बची रहे और कृषि बागवानी से आत्मनिर्भर / उद्यमी युवा भी बन सकें ।
3. सतपुली अथवा पोखडा में मेडिकल कॉलेज खोल कर युवाओं को एक नई दिशा दी जा सकती है चौबट्टाखाल का क्षेत्र सबसे अधिक पलायन एवं अनदेखी की मार झेल रहा है ।
4. चौबट्टाखाल को फ्री टाइगर जोन बनाने के संबंध में, आपको जानकारी होगी की इसी वर्ष चौबट्टाखाल विधानसभा में बाघ / तेंदुए द्वारा लोगों को घायल और मारने की लगभग 7-8 घटनाये हुई हैं ।
5. बीरोंखाल क्षेत्र को OBC क्षेत्र घोषित करने के लिए, बीरोंखाल क्षेत्र में न तो रोजगार , न ही पर्यटन की संभावनाएं हैं , यह क्षेत्र उत्तराखंड के अन्य क्षेत्रों की तुलना में पिछड़ा हुआ है।
6. जण्दा देवी , ज्वाल्पा देवी व दीबा मंदिर को पर्यटन से जोड़ने के लिये ।
7.पैरामेडिकल कोर्सेज को मुफ्त करवाये जाने के संबंध में ।
8. उत्तराखंड में बेरोजगारी चरम पर है यदि जल्द इसके उपाय नही किये गए तो आमतौर पर शांत उत्तराखंड में आपराधिक घटनाएं बढ़ेंगी , बेरोजगारी दूर करने के लिए सरकार की कोई भी तैयारी नही दिखती , स्वरोजगार से युवाओं को कैसे जोड़ा जाए इसकी भी कोई खास नीति आज तक नही बन पाई है ।
9. बैजरो , स्युन्सी के बीच पेट्रोल पंप खोले जाने के संबंध में । आपको जानकर हैरानी होगी की बैजरो से 80km दूर सतपुली में पेट्रोल पंप है , हम लोग आज 120/ltr पेट्रोल भरने के लिए मजबूर हैं , इसके कारण जहां किराया 10 रुपये लगता था आज 20 रुपये हो चुका है ।
10. पर्वतीय क्षेत्रों की लाइफलाइन मैक्स टैक्सी ड्राइवर्स को साल में 4 महीने भत्ता दिए जाने के संबंध में , पलायन के कारण टैक्सी ड्राइवर्स के धंधे को बहुत बड़ा नुकसान पहुंचा है , लाखों की गाड़ी लेने के बाद भी ड्राइवर दिनभर में पेट्रोल / डीजल का खर्चा निकालने में भी असमर्थ हैं । इन्हें इस समय सरकार की मदद की आवश्यकता है ।
11 . सीला मल्ला , सीला तल्ला , दिबोली , नवासू , धोबीघाट को सड़क से जोड़ने के संबंध में ।
यहां धरने पर बैठने वाले युवा हैं विपिन घिल्डियाल जिन्होंने अपने क्षेत्र की अनदेखी एवं उदासीनता के कारण सुल्या ठोंक , भैरव डांडा , कालिंका डांडा जंगल में रहकर भूख हड़ताल करने को निर्णय लिया है। उन्होंने स्पष्ट तौर पर ताकीद किया है कि राज्य सरकार किसी स्थानीय सांसद प्रतिनिधि , विधायक प्रतिनिधि को भेजकर अपना समय नष्ट ना करे। उनका कहना है कि उन्हें जवाब मुख्यमंत्री अथवा क्षेत्रीय विधायक सतपाल महाराज से चाहिए। उन्होंने सरकार को तीन दिवस का समय दिया है। साथ चेतावनी दी है कि यदि साकारात्मक उत्तर नही मिलता तो वे मान लेंगे कि सरकार अड़ियल रवैये अपनाकर जनता की अनदेखी कर रही है और करती रहेगी। जिससे उन्हें आत्मदाह के लिए मजबूर होना पड़ेगा।