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MEDIA LIVE : सालम क्रांति के नायकों को दी श्रद्धांजलि, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोदियाल रहे मौजूद !

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मीडिया लाइव: सालम क्रांति के शहीदों को अल्मोड़ा के प्रसिद्ध शहीद स्मारक धामद्यो में आयोजित कार्यक्रम में कांग्रेसियों ने श्रद्धासुमन अर्पित किए। इस मौके पर कार्यक्रम में पहुंचे कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष एवं मौजूदा विधायक गोविंद सिंह कुंजवाल समेत तमाम कांग्रेसियों ने शहीद स्मारक पर पुष्प अर्पित कर क्रांतिकारियों के सपनों का राष्ट्र निर्माण को आगे आने का संकल्प लिया।

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गोदियाल ने आजादी के सेनानियों कोई किया याद !

गोदियाल ने कहा कि स्वतंत्रता सेनानियों का अतुलनीय योगदान कभी भुलाया नहीं जा सकता। जिला मुख्यालय अल्मोड़ा से करीब 74 किमी दूर लमगड़ा ब्लाॅक के जैंती धामद्यो में बुधवार को सालम क्रांति के सपूतों का भावपूर्ण स्मरण किया गया। पूर्व विधानसभा अध्यक्ष व जागेश्वर के विधायक गोविंद सिंह कुंजवाल ने भी सभी क्रांतिकारी शहीदों को श्रद्धांजलि दी और कहा कि आजादी की लड़ाई में सालम रणबांकुरों की बलिदान का गवाह रहा है।

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इस पर सियासत भी हुई खूब, लगे आरोप

अल्मोड़ा के पूर्व विधायक मनोज तिवारी ने भी शहीदों को श्रद्धांजलि दी। आज भी कांग्रेस व बीजेपी ने शहीद स्थल पर अलग अलग पुष्प अर्पित किए। दोनों दलों के नेता व कार्यकर्ता अलग अलग शहीद स्थल पहुंचे और श्रद्धांजलि अर्पित की। कुंजवाल ने मीडिया से बातचीत में इस संबंध में सवाल भी उठाए जबकि बीजेपी नेता सुभाष पांडेय ने बयान जारी कर समारोह को पार्टी विशेष का कार्यक्रम बनाने का आरोप लगाया।

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सालम का इतिहास और क्रांति का द्योतक है धामद्यो !

आज ही के दिन सन् 1942 में सालम के धामद्यो( धामदेव ) में ब्रिटिश हुकूमत के निर्देश पर क्रांतिकारियों पर गोलियां बरसाई गई थी। चौकुना गांव के क्रांतिवीर नर सिंह धानक व कांडे गांव के टीका सिंह कन्याल गोरे सैनिकों की गोलीबारी में शहीद (salam ke shaheed))हो गए थे।

इसके बाद राम सिंह धौनी के साथ ही दुर्गा दत्त शास्त्री (नया संग्रोली), भवान सिंह धानक, मर्च राम, दुर्गा सिंह कुटौला, नैन सिंह अड़ौला, उत्तम सिंह जंतवाल, रेवाधर पांडे, शिव दत्त पांडे, छविदत्त, खड़क सिंह, हर सिंह नेगी समेत डेढ़ सौ स्वतंत्रता सेनानियों को गिरफ्तार किया गया। कोर्ट ने फांसी, कालापानी व आजीवन कारावास की सजा सुनाई। क्रांतिकारी राम सिंह धौनी व रेवाधर पांडे को फांसी की सजा को बदल कर आजीवन कारावास में बदला गया। शिव दत्त गुरुरानी व प्रताप सिंह बोरा को काला पानी की सजा दी गई।

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