MEDIA LIVE : बाल व महिला अपराधों को लेकर पुलिस ने चलाया जागरूकता अभियान
MEDIA LIVE PAURI GARHWAL THALISAIN
मीडिया लाइव: बाल व महिलाओं से सम्बंधित अपराधों को रोकने को लेकर उत्तराखंड में पुलिस हर संभव प्रयास कर रही है। यहां तक कि विभाग दूरदराज इलाकों में लोगों के बीच पहुंचकर जन जागरूकता अभियान संचालित कर रहा है। थाना क्षेत्रों पर ऐसे अपराधों की गंभीरता के विषय पर बच्चों महिलाओं और अन्य सभ्य और बुद्धिजीवी लोगों के साथ लगातार वाद संवाद और परिचर्चाएं आयोजित की जा रही हैं। पुलिस का मकसद बाल एवं महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों के प्रति लोगों में वैचारिक तौर पर समझ पैदा करना है। ताकि किसी भी स्तर पर आधी आबादी के विरुद्ध समाज में किसी भी तरह के अपराध ना पनप सकें।
जनपद पौड़ी गढ़वाल के दूरस्थ थलीसैंण थाना क्षेत्र के पुलिसकर्मी व थानाध्यक्ष क्षेत्र के गांव स्कूलों और बाजारों में लोगों से मिल रहे हैं। इस संबंध में परिचर्चाओं गोष्ठियों और बच्चों के बीच निबंध प्रतियोगिताएं आयोजित की जा रही हैं। समाज के सुधि और सभ्य लोगों को ऐसे गंभीर अपराधों और उनसे संबंधी कानूनी प्रावधानों व न्यायिक प्रक्रियाओं से रूबरू कराने की कोशिशें की जा रही है।
बता दें कि इस तरह के अपराधों की श्रेणी में बाल व महिलाओं के शारीरिक, मानसिक, आर्थिक, यौन व
भावनात्मक उत्पीड़न-शोषण से सम्बंधित अपराध अकसर भारतीय समाज में देखने सुनने और पढ़ने को मिलते हैं।
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शुक्रवार को ऐसे ही अपराधों के होने की संभावनाओं को देखते हुए थलीसैंण थाना क्षेत्र के विभिन्न क्षेत्रों में जन जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए गए। इसमें बीरोंखाल ब्लॉक के ग्राम ग्वीन जनता इंटर कॉलेज में स्कूली छात्र-छात्राओं को साइबर अपराध व बच्चों तथा महिलाओं आदि अपराधों के प्रति जागरूक किया गया। कॉलेज में पुलिस विषय पर प्रतियोगिता आयोजित की गई जिसमें शामिल होने वाले बच्चों को सम्मानित कर प्रोत्साहित किया गया। वहीं मैठानाघाट बाजार में स्थानीय दुकानदारों व गांव के लोगों के साथ गोष्ठी आयोजित करते हुए मादक पदार्थों व शराब के अवैध कारोबार के सम्बन्ध में जागरूक करते हुए लोगों से सूचनाएं देने का अनुरोध किया गया। लोगों से आपसी समन्वय से अपराधों की रोकथाम की अपील की गई।
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सभ्य समाज को चौंकाते हैं ऐसे अपराध!
महिलाओं पर होने वाले अपराध चौंकाने वाले हैं। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार, प्रति वर्ष महिलाओं के साथ होने वाले अपराधों के लगभग 3 लाख से ज्यादा मामले दर्ज होते हैं, जिनमें छेड़छाड़, मार-पीट, अपहरण, दहेज उत्पीड़न से लेकर बलात्कार एवं मृत्यु तक के मामले शामिल हैं। अक्सर कहा जाता है कि महिलाएं अपनों के बीच सबसे ज्यादा सुरक्षित रहती हैं पर हकीकत ये है कि महिलाएं सबसे ज्यादा असुरक्षित, अपनों के बीच ही होती हैं। विभिन्न शोध रिपोर्टों और आंकड़ों के अनुसार महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों में ज्यादातर उनके जानकार ही शामिल होते है। भारत में लगभग 70 प्रतिशत विवाहित महिलाएं घरेलु हिंसा की शिकार होती हैं। घर के बाहर जाकर काम करने वाली महिलाओं के साथ ऑफिस में होंने वाले छेड़छाड़ के मामले भी काफी बढ़े हैं। इसी प्रकार हर साल हजारों की संख्या में महिलाएं अपहरण का शिकार होती हैं , जिनमें ज्यादातर महिलाओं का अपहरण जबरदस्ती शादी एवं अनैतिक देह व्यापर के लिए किया गया।
हालांकि पहाड़ों में इस तरह के मामले बेहद कम होते हैं। लेकिन छेड़ छाड़ के मामले कानूनी जागरूकता और जानकारी के अभाव में रिपोर्ट ही नहीं होते। लेकिन अब लगता है कि पुलिस के इस अभियान के परिणाम सामने आएंगे। बेटियों के परिजन और वे खुद अपने अधिकारों और खुद की सुरक्षा और बचाव में खुल कर सामने आएंगी।
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