MEDIA LIVE NEWS : स्थायी लोक अदालत: न कोर्ट फीस न वकील: कोरोना काल में मिला त्वरित न्याय
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मीडिया लाइव: मामला कोरोना काल का है। एक शख्स ने बेटे की शादी के आयोजन के लिए वेडिंग स्थल की बुकिंग कराई थी। जिसके लिए उन्होंने वेडिंग स्थल स्वामी को दो लाख रुपए एडवांस के तौर पर दिए थे। लेकिन अचानक covid- 19 महामारी के चलते देशभर में लगे लॉकडाउन के बीच सब कुछ बंद हो जाने से तमाम सार्वजनिक व निजी आयोजनों पर पूरी तरह रोक लग गई। ऐसे में बड़ी तादाद में शादी समारोह जैसे महत्वपूर्ण आयोजनों को स्थगित करना पड़ा। ऐसा ही कुछ इस केस में भी हुआ। लेकिन शादी स्थगित होने के बाद भी इसमें पैसे के लेनदेन के कारण विवाद हो गया। जिसे बाद में पीड़ित स्थाई लोक अदालत में ले गया। जहां आखिरकार उसे न्याय मिला।
क्या है पूरा मामला विस्तार से जानिए
शिकायतकर्ता किशन सिंह रावत ने बताया कि उन्होंने अपने बेटे की शादी समारोह के लिए एक भूमि स्थल बुक किया था, जिसके लिए उन्होंने 2 लाख रूपये की अग्रिम धनराशि वेेडिंग प्वाइंट संचालक-विपक्षी को दी गई। परन्तु लाकडाउन घोषित होने के कारण विवाह स्थगित करना पडा। अनलाक होने के बाद शादी के लिए दो नई तारीख तय की गई। लेकिन उन दोनों तिथियों में भूमि स्थल के स्वामी ने पहले से बुकिंग होना बता कर शादी के लिए बुकिंग करने से इंकार कर दिया। इतना ही नहीं बल्कि अग्रिम धनराशि वापस करने से मना कर दिया।
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इस तरह से कोरोना काल में हुई मामले की सुनवाई
चूंकि कोरोना काल में भौतिक सुनवाई नही हो रही थी जिस कारण, शिकायतकर्ता किशन सिंह रावत ने स्थायी लोक अदालत, देहरादून को ई-मेल के जरिए अपनी शिकायत दर्ज कराई। जिसकी सुनवाई स्थायी लोक अदालत ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से शुरू की। पीड़ित पक्ष को सुनने के बाद वेडिंग स्थल के स्वामी को नोटिस भेजे गए व मामले की सुनवाई विडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए आगे बढ़ी। जिसमें वेडिंग स्थल के स्वामी के अधिवक्ता उपस्थित हुए तथा बाद में सुलह-समझौते के लिए भौतिक रूप से भी उपस्थित हुए।
स्थायी लोक अदालत के अध्यक्ष राजीव कुमार, सदस्य मंजुश्री सकलानी व उपेन्द्र सिंह ने दोनों पक्षों में सुलह-समझौता का प्रयास किया गया। जिसमें आज शुक्रवार को दोनों पक्षों के के बीच 1.5 लाख रूपये लौटाने पर समझौता हो गया। इसपर विपक्षी भूमि स्थल के स्वामी ने 1.5 लाख रूपये के चैक शिकायतकर्ता किशन सिंह रावत को दिये। यह वाद कोराना काल में होने के बावजूद लगभग 2 माह में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग व भौतिक रूप से मुकदमें में तेजी से सुनवाई कर निस्तारित किया गया। मामले की पूरी सुनवाई के लिए शिकायत कर्ता को न्याय शुल्क भी नहीं देना पडा। वहीं अपनी पैरवी खुद की।
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क्या है स्थाई लोक अदालत की प्रक्रिया और क्या है इसके फायदे
स्थाई लोक अदालत की प्रक्रिया बेहद सरल है इसमें आम जन अपनी शिकायत को लिखित रूप में दाखिल कर सकता है। स्थायी लोक अदालत में कोई कोर्ट फीस नहीं लगती, मुआवजा और हरजाना तुरन्त मिल जाता है। मामले का निपटारा त्वरित हो जाता है। फैसला अंतिम होता है।
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