लोक निर्माण विभाग करेगा आधुनिक तकनीक का स्तेमाल
मीडिया लाइव, पौड़ी: उत्तराखंड के पर्वतीय इलाकों में सड़क निर्माण में होने वाली खामियों, सुरक्षा बैरिकेटिंग, रोड डिवाडर आदि के कारण होने वाली सड़क दुर्घटनाओं पर नियंत्रण करने के लिए लोक निर्माण विभाग के विशेषज्ञों ने सड़क निर्माण की विभिन्न खामियों पर चर्चा की। कार्यशाला में सड़क निर्माण में आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करने तथा तीखे व अंधे मोड़ों पर चालक का ध्यान केंद्रित करने वाले आधुनिक साइन बोर्ड लगाये जाने की पैरवी की गई।
विकास भवन सभागार में उत्तराखंड स्टेट रोड इनवेस्टमेंट प्रोग्राम के अंतर्गत आयोजित सड़क सुरक्षा प्रबंधन की एक दिवसीय कार्यशाला की अध्यक्षता लोक निर्माण विभाग गढ़वाल मंडल के मुख्य अभियंता लोकेश शर्मा ने की। कार्यशाला में पौड़ी, चमोली और रूद्रप्रयाग जिले के लोक निर्माण विभाग के अभियंताओं को सड़क निर्माण में बरती जा रही छोटी-छोटी खामियों के कारण आये दिन हो रहे सड़क दुर्घटनाओं के प्रति आगाह किया गया। उन्होंने कहा कि तकनीकिकरण के इस युग में लोनिवि को भी आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल सड़क निर्माण में करना होगा। उन्होंने कहा कि विदेशों के साथ-साथ देश के अन्य राज्यों में सड़क निर्माण की उन्नत इंजीनियरिंग के माध्यम से राज्य के पहाड़ी क्षेत्रों में बेहतर सड़क का निर्माण किया जा सकता है। उन्होंने लोक निर्माण विभाग के तीनों जिलों के अभियंताओं से कार्यशाला में बताई जा रही जानकारियों को व्यवहारिक इस्तेमाल करने पर जोर दिया। कार्यशाला का संचालन करते हुए ‘ली एसोसिएट साउथ एशिया प्रा.लि. के सड़क विशेषज्ञ डा. टीएस रेड्डी ने दृश्य एवं श्रव्य के माध्यम से देश के अन्य राज्यों में सड़क निर्माण, सुरक्षा बैरिकेटिंग, गलत डिवाइड, तीखे मोड़, पुलियाओं पर संकेतक न होने, चौराहों पर सफेद हाईलाइट पट्टी के अभाव में कई वाहन दुर्घटनाओं की जानकारियां दी। उन्होंने बताया कि देश व विदेशों में सड़क निर्माण की छोटी-छोटी खामियों का अध्ययन करके पता लगाया गया कि सड़क निर्माण में इन खामियों को दूर किया जाए तो वाहन दुर्घटनाओं को काफी हद तक कम किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि अकेले उत्तराखंड में हर वर्ष सड़क दुर्घटनाओं के कारण करीब 18 सौ से दो हजार लोगों की मृत्यु हो जाती है। कहा कि वर्ष 2009 से 2014 के बीच देहरादून, ऊधमसिंह नगर, हरिद्वार तथा नैनीताल जिले में करीब तीन सौ वाहन दुर्घटनाएं हो चुकी हैं। जम्मू-कश्मीर, अरूणाचल प्रदेश, मिजोरम, हिमाचल प्रदेश, मेघालय समेत 10 पर्वतीय राज्यों के सापेक्ष उत्तराखंड में वर्ष 2011 से 2013 में 50 प्रतिशत से अधिक मामलों में सड़क हादसे हुये हैं। उन्होंने सड़क हादसों को रोकने के लिए सड़क निर्माण पर विशेष ध्यान देने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि किसी सड़क के निर्माण के बाद उसे सही तरीके से डेकोरेट करने के लिए सभी आधुनिक उपकरण लगाये जाने अहम हैं। इसके अलावा बेहतर गुणवत्ता वाली सड़क के लिए सुरक्षित सड़क के अभियंताओं को ट्रेफिक इंजीनियरिंग व मैनेजमैंट, रोड डिजाइन व कंस्ट्रकशन आदि की भी जानकारियां दी जानी चाहिए। उन्होंने सड़क हादसों को रोकने के लिए सड़क निर्माण की सामान्य विधियांे पर भी रोशनी डाली। इसके तहत उन्होंने सड़का का क्षैतिज व ऊर्ध्वाधर अलायमेंट करने, रूकने की दूरी का सही दिखाई देना, सुरक्षित व साफ दिखाई देने वाली ट्रैफिक लेन तथा ट्रैफिक लेन में स्ट्रीट लाइट व दिशा सूचक साइन बोर्ड का स्पष्ट दिखाई देना व उनकी सही स्थिति में लगा होना भी अहम है। इसके अलावा उन्होंने दिन-रात तथा गर्मी-सर्दी के मौसम के अनुकूल रिफ्लेक्टर लगाने व पैदल यात्रियों के लिए फुटपाथ का भी सही निर्धारण करने की विधियां बतायी। इस मौके डा. रेड्डी ने जापान में सड़क निर्माण की उन्नत तकनीक व गुजरात व महाराष्ट्र की सड़कों के निर्माण में इस्तेमाल आधुनिक रोड इंजीनियरिंग का इस्तेमाल पर्वतीय क्षेत्रों की सड़कों में प्रयोग करने विभिन्न जानकारियां दी। इस मौके पर लोनिवि पौड़ी के अधीक्षण अभियंता बीएन चौधरी, अधीक्षण अभियंता गोपेश्वर जीसी आर्य, अधिशासी अभियंता पौड़ी निर्भय सिंह, अधिशासी अभियंता कर्णप्रयाग जेपी रतूड़ी, अधिशासी अभियंता दुगड्डा राजेश चंद्रा, अधिशासी अभियंता लैंसडोन दिनेश बिज्लवाण समेत लोक निर्माण विभाग के सहायक एवं अवर अभियंतागण उपस्थित रहे।