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केन्द्र की तरफ मुंह ताकता उत्तराखण्ड, बारिश से हुए नुकसान पर केंद्र से मांगेंगे रकम

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मीडिया लाइव, देहरादून: उत्तराखण्ड हर बात के लिए केंद्र सरकार की तरफ मुंह ताकता दिख रहा है. सूबे की  आर्थिक हालत लगातार कमजोर होते जा रहे हैं. कोविड 19 इसे और बुरी हालत में पहुंचा दिया है. ऊपर से खेती बाड़ी की तरफ से जो उम्मीद जगी थी. उसे भी लगातार हो रही बारिश और ओला बृष्टि ने अच्छा-खासा नुकसान पहुँचा दिया है. इसकी भरपाई के लिए भी सरकार भारत सरकार की तरफ उम्मीद लगाए बैठी है. वहां के आर्थिक हालात भी कोई बहूत अच्छे नहीं हैं ये आर्थिक विशेषज्ञ पहले ही बता चुके हैं. उत्तराखण्ड में बीच-बीच में हो रही बारिश से कृषि फसलों और औद्यानिकी को कितना नुकसान हुआ है सरकार ने कितना अनुमान लगाया है उसकी अब तक की रिपोर्ट:

विधान सभा में हुई बैठक : प्रदेश के कृषि, कृषि विपणन, कृषि प्रसंस्करण, कृषि शिक्षा, उद्यान एवं फलोद्योग एवं रेशम विकास मंत्री सुबोध उनियाल ने विधान सभा स्थित कार्यालय कक्ष में ओलावृष्टि और बारिश से कृषि और उद्यान में होने वाले नुकसान के आकलन के सम्बन्ध में बैठक ली।

करोड़ों का हुआ नुकसान : बैठक में जानकारी दी की ओलावृष्टि और वर्षा से कृषि और उद्यान में लगभग 26 करोड़ 34 लाख है के नुकसान की जानकारी मिली है। इनमें से 1 करोड़ 82 लाख का नुकसान देहरादून जनपद में हुआ है।

अभी पूरे राज्य से नहीं मिले अनुमान के आंकड़े : इस सम्बन्ध में समस्त जनपदीय कृषि एवं उद्यान अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि वे ओलावृष्टि और वर्षा से होने वाले नुकसान की जानकारी सम्बन्धित एसडीएम के माध्यम से मण्डी को सूचना भेजें। इसके अतरिक्त फूल व्यवसायी एवं उत्पादकों को होने वाले नुकसान का भी आकलन किया जा रहा है एवं नुकसान की भरपाई के लिए भारत सरकार को पत्र लिखा जायेगा।

महामारी में घर वापसी करने वालों को रोजगार पर भी चर्चा, पर ऐसे में होगा कैसे ?: बैठक में रिवर्स पलायन करने वाले लोगों को रोजगार देने के सम्बन्ध में निर्देश दिया गया कि विभिन्न सेक्टरों में योजनाऐं बनायी जायें। रोजगार एवं मार्केटिंग विपणन के लिए, हार्टिकल्चर मिशन एवं हार्टिकल्चर मार्केटिंग बोर्ड द्वारा रिटेल आउटलेट स्थापना की जायेगी। इस हेतु केन्द्र सरकार से सब्सिडी ली जायेगी तथा राज्य सरकार अपना राज्यांश में भी वृद्वि करेगी। समूह के द्वारा अपना बाजार आउटलेट, बागवानी फसलों के लिए कृषि उत्पादकों हेतु एक प्लेटफार्म तैंयार किया जायेगा। इस माॅडल द्वारा अधिक से अधिक लोगों को रोजगार उपलब्ध कराया जायेगा। बंजर भूमि में प्रवासी नागरिकों के लिए खेती की सम्भावनाओं के लिए भी योजनाऐं बनाने का निर्देश दिया गया।
इस अवसर पर निदेशक एच.आर.डी.आई. सी.एन.सनवाल, निदेशक चाय बोर्ड संजय श्रीवास्तव, निदेशक रेशम ए.के.यादव, संयुक्त निदेशक उद्यान डाॅ. रतन कुमार और डाॅ. जगदीश चन्द्र, संयुक्त कृषि निदेशक दिनेश कुमार एवं उपनिदेशक उद्यान महेन्द्रपाल आदि अधिकारी मौजूद थे।