इस टेस्टिंग पर टिका जोशीमठ का भविष्य
मीडिया लाइव, गोपेश्वर : सीमान्त क्षेत्र और पर्यटन नगरी जोशीमठ में भू धंसाव से पैदा हुई आपदा को सालभर होने को है। 11 महीनों के बाद इन दिनों यहाँ की भूगर्भीय स्थिति का जायजा लेने के लिए जिओ टेक्निकल सर्वे किया जा रहा है। इसी पर पेश है एक रिपोर्ट। इन दिनों मुंबई बेस नीदरलैंड की फुगरो कंपनी भू धंसाव प्रभावित जोशीमठ के अलग-अलग इलाकों में भू गर्भीय सर्वे का काम कर रही है। कंपनी प्रभावित जगहों के एक बड़े हिस्से में ड्रिलिंग कर रही है, जिससे जोशीमठ के नीचे की पक्की चट्टानों का गहन अध्ययन करने के लिए सैम्पल ले रही है। बता दें कि इससे पहले भी देश विदेश की कई नामी गिरामी वैज्ञानिक संस्थाएं जोशीमठ की केयरिंग केपिसिटी यानी भार क्षमता का भू गर्भीय अध्ययन कर चुकी हैं। ऐसे में फुगरों कंपनी के अंतिम बार एक और भूगर्भीय सर्वेक्षण करने जा रही है। अब सबकी निगाहें इस टेस्टिंग रिपोर्ट के पूरी प्रक्रिया पर टिक गयी हैं। क्योंकि सरकार की तरफ से कराई जा रही इस पूरे सर्वे के बाद ही जोशीमठ के भार क्षमता की पूरी स्थिति साफ़ हो पाएगी।
सर्वे साईट पर मौजूद कार्यदाई संस्था के भू वैज्ञानिक अभिषेक भारद्वाज ने इस बारे में जानकारी दी है। बता दें कि ये ड्रिलिंग करीब 80 मीटर तक गहरी तक होनी है जिसमें पक्की चट्टान को ढूंढने का प्रयास किया जा रहा है। इस काम में दो से तीन महीने लग सकते हैं और उसके बाद रिपोर्ट सार्वजनिक हो सकती है। फिलहाल आज के लिए इतना ही।