नगर पालिका के प्रयास से पौड़ी में ‘पइयां पूजन’ के साथ हुआ होली मिलन कार्यक्रम…
मीडिया लाइव, पौड़ी: आज नगर पालिका अध्यक्ष हिमानी नेगी , व्यापार सभा पौड़ी और रामलीला कमेटी के संयुक्त प्रयास से पौड़ी के ऐतिहासिक रामलीला मैदान में परंपरागत होली मिलन कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम न केवल होली के त्योहार को उत्साहपूर्वक मनाने का एक अवसर था, बल्कि पौड़ी की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को पुनर्जीवित करने का भी एक महत्वपूर्ण कदम था।
पौड़ी, जो अपनी सांस्कृतिक समृद्धि के लिए जानी जाती है, पिछले कुछ वर्षों से अपनी परंपराओं को केवल औपचारिकता के रूप में मनाती आई थी। इस बार, नगर पालिका और व्यापार संघ ने मिलकर यह निर्णय लिया कि होली के इस पावन अवसर को पूरी श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जाए। नगर पालिका अध्यक्ष श्रीमती हिमानी नेगी ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में पौड़ी की संस्कृति और परंपराओं को बढ़ावा देने का वादा किया था। इसी कड़ी में, उन्होंने होली के त्योहार को एक विशेष सांस्कृतिक कार्यक्रम के रूप में मनाने की पहल की।
कार्यक्रम की शुरुआत पारंपरिक ‘पइयां पूजन’ के साथ हुई। इसके बाद, होलियारों की विभिन्न टीमों ने रामलीला मैदान में पारंपरिक होली के गीत और नृत्य प्रस्तुत किए। महिलाओं के समूहों ने होली कीर्तन कर दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। यह दृश्य बहुत लंबे समय बाद पौड़ी में देखने को मिला, जिसने नगरवासियों को अपनी सांस्कृतिक जड़ों से फिर से जोड़ दिया।

इस कार्यक्रम में सतपुली और त्रिपालिसैण के होलियारों ने भी रंगारंग प्रस्तुतियां दीं। महिला समूहों ने रामलीला मंच पर कीर्तन और होली के गीतों की सुंदर प्रस्तुतियां दीं, जिसने सभी को झूमने पर मजबूर कर दिया। यह कार्यक्रम न केवल मनोरंजन का स्रोत था, बल्कि यह पौड़ी की सांस्कृतिक विरासत को संजोने और नई पीढ़ी तक पहुंचाने का एक महत्वपूर्ण माध्यम भी बन गया।
इस होली मिलन कार्यक्रम के माध्यम से हम अपने गढ़वाल की सांस्कृतिक विरासत को संजो रहे हैं और इसे नई पीढ़ी को सौंप रहे हैं। यह कार्यक्रम न केवल हमारे बच्चों को अपनी सांस्कृतिक धरोहर से जोड़ता है, बल्कि उन्हें इसके महत्व को समझने का अवसर भी प्रदान करता है।
इस कार्यक्रम के सफल आयोजन के लिए व्यापार सभा पौड़ी, रामलीला कमेटी, विभिन्न क्षेत्रों से आए हुलियार, मातृशक्ति, युवाओं और नगरवासियों का हार्दिक आभार और अभिनंदन। उनके सहयोग और उत्साह के बिना यह कार्यक्रम इतना सफल नहीं हो पाता। आशा है कि आने वाले समय में भी हम इसी तरह के सांस्कृतिक आयोजनों के माध्यम से अपनी परंपराओं को जीवित रखेंगे और उन्हें और समृद्ध बनाएंगे।