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बसंत पंचमी: पौड़ी जिले में यहां मनाया गया हल्या दिवस…

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मीडिया लाइव, बीरोंखाल : पौड़ी जिले के बीरोंखाल विकासखंड में बीते बरस से बसंत पंचमी के मौके पर पर्वतीय क्षेत्र में पारंपरिक खेती को बचाने के लिए हल्या दिवस मनाया जा रहा है। पहाड़ों में खेत खलिहान किसान बैल और हल लगातार कम होते जा रहे हैं। ऐसे में हल्या फाउंडेशन डे की अवधारणा को सामने ला कर इन्हें बचाने और प्रोत्साहित करने की मुहीम चलाने का प्रयास किया जा रहा है। इसी खास सोच और मकसद के तहत आज बसंत पंचमी के मौके पर विकास खण्ड के बंगार गांव के ग्रामीणों के साथ मिलकर इसकी पहली वर्षगांठ मनाई गई। जिसे हल चलाने वाले हल्या भाइयों और खेतों में उनके साथ हाथ बंटाने वाली कुटल्या बहनों को समर्पित किया गया।

बता दें कि पहाड़ों में लगातार कृषि जोत छूटती जा रही है। ऐसे में समाज के चिंतकों ने यह कार्यक्रम आयोजित करने खेती किसानी को बचाने की यह मुहीम शुरू की है। आज रविवार को इस अवसर पर बंगार गाँव में एक सूक्ष्म और सादा कार्यक्रम आयोजित किया। यह कार्यक्रम किसानों को समर्पित था, जिन्होंने पारंपरिक तरीके से हल, बैलों और खेती को बचाने की मुहिम में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। आज से ही पहाड़ों में खेती की अगली फसल के लिए पारंपरिक रूप से हल जोतने की प्रथा रही है।

हल्या फाउंडेशन के रिटायर कर्नल यशपाल ने हल्या दिवस की पहली वर्षगांठ पर किसान हल्या भाइयों का माल्यार्पण कर सम्मानित किया। उन्होंने उन्हें उनकी मेहनत और समर्पण के लिए धन्यवाद दिया। फाउंडेशन ने पिछले साल से चलाई जा रही पारंपरिक तरीके से हल, बैलों और खेती को बचाने की मुहिम को दोहराया। उन्होंने किसानों को इस मुहिम में शामिल होने और पारंपरिक खेती को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया।

इस मौके पर बंगार महिला मंगल दल की महिलाओं ने आई पंचमी माऊ की लोक गीत के साथ खेतों में ही प्रस्तुति दी।

फाउंडेशन के विनोद नेगी ने हल्या भाइयों के साथ बातचीत की और उनकी समस्याओं और सुझावों को सुना।

हल्या फाउंडेशन किसानों को सशक्त बनाने और पारंपरिक खेती को बढ़ावा देने के लिए काम कर रहा है। फाउंडेशन का मानना है कि पारंपरिक खेती न केवल पर्यावरण के लिए बेहतर है, बल्कि यह किसानों की आय को बढ़ाने में भी मदद कर सकती है।

इस मौके पर बंगार गांव की प्रशासक ग्राम प्रधान वन्दना देवी, महिला मंगलदल अध्यक्षा लक्ष्मी देवी समेत तमाम महिलाएं मौजूद रही।