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कोरोना काल और कृषि काश्तकारी में रोजगार की संभावनाएं, डीएम कर रहे पहल

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मीडिया लाइव, अल्मोड़ा: कोरोनाकाल में उत्तराखण्ड में खेती-किसानी में ज्यादा से ज्यादा सम्भावनाएं तलाशे जाने की जरूरत है. इस क्षेत्र को पूर्ण रोजगार देने वाला और सम्मान के साथ जीने वाला साधन बनाने की दिशा में आगे बढ़ने के लिए योजनाएं बनानी होगी. मौजूदा हालातों में खास कर पर्वतीय इलाकों में बड़ी संख्या में प्रवासी घर-गांव लौट आए हैं. इसे एक बड़ी सम्भावना के तौर पर उभारने की जरूरत है. इसके अलावा आम-जनमानस में सरकार की तरफ से चलाई जा रही तमाम योजनाओं के प्रति अविश्वास की भावना में बदलाव लाना होगा. पहाड़ों में जैविक खेती के अलावा स्थानीय पारम्परिक उत्पादों को बचाए रखने और उनका उत्पादन वैज्ञानिक ढंग से करने की जरूरत है. आज बाजार में सबसे अधिक मांग किन कृषि उत्पादों की है ? इसकी जानकारी वक्त पर किसानों को उपलब्ध करानी होगी. इसके लिए सम्बंधित विभाग के पास मौजूदा योजनाओं की जानकारी के साथ किसान और खेत तक विभाग को पहुंचना होगा. सबसे बड़ी जरूरत स्थानीय स्तर पर छोटी-छोटी मंडियां स्थापित करने की है. ताकि किसान अपने उत्पादों को आसानी से बेच सकें. पहाड़ों में मंडियां नहीं हैं. लिहाजा वहां पर खेती व्यवसायिक रूप में न होकर महज अपनी जरूरत के लिए आंशिक रूप में होती है. कृषि जोत का आकार भी बेहद छोटा होता है. ऐसे में जो किसान रुचि लेना चाहतें हैं, उन्हें मायूसी ही हाथ लगती है. ऐसे किसानों को प्रोत्साहित करने और सामूहिक खेती करने के लाभ बताए जाएं.

ऐसा ही कुछ फल करने के लिए अल्मोड़ा के जिलाधिकारी नितिन सिंह भदौरिया ने कृषि विभाग के अफसरों को निर्देश दिए हैं. डीएम ने अफसरों से कहा है कि वे लोगो को कलस्टर आधारित कृषि करने हेतु प्रोत्साहित करें। इससे कृषि के माध्यम से एक ही जगह  पर विभिन्न संसाधनों का सदुपयोग किया जा सकता है। चैखुटिया क्षेत्र में धान की पैदावार बढाये जाने के लिए वहाॅ के किसानो की समस्याओं को सुने और उन्हें अपनी कार्य योजना में  शामिल कर समाधान करें.डीएम ने कहा कि कृषि विभाग अपने उत्पादों के आउटलेट (बिक्री केन्द्र) प्रत्येक विकास खण्ड में बनाये, जिससे लोगो को ऐसे उत्पाद खरीदने में आसानी हो सके।

ग्रामीण किसान
फसलों की कटाई करती किसान महिलाएं। (फ़ाइल फ़ोटो)

गौरलतलब है कि अन्य पहाड़ी जनपदों की तरह अल्मोड़ा जनपद में भी कृषि मण्डी नहीं है. ऐसे में कृषि उत्पाद को सही बाजार व मूल्य नहीं मिल पाता है, इसके लिए जिले में कृषि मण्डी की सम्भावना तलाशने के लिए  जिलाधिकारी ने योजना तैयार करने को कहा है। मौजूदा वक्त में बाजार में जैविक कृषि उत्पादों की बड़ी मांग है. इसके लिए किसानों को प्रोत्साहित करना होगा. हर  साल  किसी एक विकास खण्ड को जैविक कृषि युक्त बनाने का प्रयास किये जाय। उन्होंने कहा कि इस ओर भी ध्यान दिया जाय कि जनपद में बीज बैंक बनाया जाय और यही से यह सर्टिफाईड भी हो सकें। जनपद में संचालित मोबाइल वैन के सार्थक परिणाम सामने आये है इसके लिए एक अन्य मोबाइल वैन का प्रस्ताव निदेशालय प्रेषित किया जाय। विवेकानन्द पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के साथ समन्वय स्थापित करते हुए कृषि क्षेत्र में उन्नत तकनीकों का लाभ किसानों को प्रदान किया जाय। कृषकों की फसलों का शत-प्रतिशत बीमा कर उन्हें बीमा कवर से आच्छादित किया जाय। इस दौरान जिलाधिकारी ने अन्य विषयों पर भी कृषि विभाग के अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिये। बैठक में मुख्य विकास अधिकारी मनुज गोयल, मुख्य कृषि अधिकारी प्रियंका सिंह, सहायक कृषि अधिकारी भारती राणा, कृषि एवं भूमि संरक्षण अधिकारी विनोद शर्मा एवं कृषि विभाग के अन्य अधिकारी उपस्थित थे .