आंकड़ों में उत्तराखंड, हकीकत में हिमाचल आगे
आज उत्तराखंड के पड़ोसी राज्य हिमाचल प्रदेश का स्थापना दिवस है। 25 जनवरी 1971 को हिमाचल को पूर्ण राज्य का दर्जा मिल गया था। हालांकि उत्तराखंड इसके काफी समय बाद यानी 9 नवंबर 2000 को अस्तित्व में आया। लेकिन फिर भी एक जैसा भूगोल होने के कारण अक्सर दोनों राज्यों की तुलना की जाती है। दोनों हिमालयी राज्य अपनी आबो हवा, बागवानी, और पर्यटक स्थलों के लिए जाने जाते हैं। लेकिन जहां तक हिमाचल की बात है तो यह राज्य कई मायनों में उत्तराखंड से आगे है। यही वजह है कि उत्तराखंड के विकास पर जब भी बात होती है तो हिमाचल प्रदेश की नजीर दी जाती है। भले ही आंकड़ों की बाजीगरी के चलते उत्तराखंड कई मामलों में हिमाचल से आगे नजर आता है। इस काम में माहिर उत्तराखंड के अफसर अर्थ एवं सांख्यकी विभाग के जरिए यहां खुशनुमा तस्वीर पेश करते हैं। जिसमें यहां की प्रतिव्यकित आय हिमाचल से ज्यादा बताई जाती है, जबकि हकीकत ये है कि चार मैदानी जिलों की प्रतिव्यक्ति आय को इसका आधार बनाया जाता है। वहीं अनाज और तिलहन के मामले में उत्तराखंड को हिमाचल से आगे बताया जाता है। इसके आंकड़ों को भी मैदानी जिलों होने वाली खेती के आधार पर परोसा जाता है। हां स्वास्थ्य सुविधाओं, बेहतर सड़कों, पर्यटक स्थलों का विकास, प्रति व्यकित बिजली का उपभोग, बागवानी जैसे मामलों में आंकड़े कारगर नहीं होते। क्योंकि ये सीधे तौर पर आंखों से नजर आने वाला विकास है। वहीं किसी भी राज्य में रहन सहन की बेहतरी इन सभी बातों पर निर्भर करती है। इसीलिए उत्तराखंड में हिमाचल से तुलनात्मक विकास के दस्तावेजों में हिमाचल को इन बातों में उत्तराखंड से आगे ही दिखाया जाता है। बहरहाल उत्तराखंड के विकास के लिए हिमाचल ही सबसे बड़ा रोल मॉडल है। क्यों कि दोनों ही राज्यों की प्राकृतिक स्थिति एक जैसी है। लेकिन उसके लिए उत्तराखंड को खुद पर भरोसा करना पड़ेगा, क्योंकि कि किसी को रोल मानकर आगे बढ़ा जा सकता है लेकिन इस फेर में नकल से बचना होगा। जिसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उत्तराखंड का सेब आज भी हिमाचल ब्रांड से बाजार में उतारा जा रहा है।
हिमाचल आजादी के बाद
जनवरी, 1948 ई. में शिमला हिल्स स्टेट्स यूनियन सम्मेलन सोलन में हुआ। हिमाचल प्रदेश के निर्माण की घोषणा इस सम्मेलन में की गई। दूसरी तरफ प्रजा मंडल के नेताओं का शिमला में सम्मेलन हुआ, जिसमें यशवंत सिंह परमार ने इस बात पर जोर दिया कि हिमाचल प्रदेश का निर्माण तभी संभव है, जब शक्ति प्रदेश की जनता तथा राज्य के हाथ सौंप दी जाए। शिवानंद रमौल की अध्यक्षता में हिमालयन प्लांट गर्वनमेंट की स्थापना की गई, जिसका मुख्यालय शिमला में था। दो मार्च, 1948 ई. को शिमला हिल स्टेट के राजाओं का सम्मेलन दिल्ली में हुआ। राजाओं की अगवाई मंडी के राजा जोगेंद्र सेन कर रहे थे। इन राजाओं ने हिमाचल प्रदेश में शामिल होने के लिए 8 मार्च 1948 को एक समझौते पर हस्ताक्षर किए। 15 अप्रैल 1948 ई. को हिमाचल प्रदेश राज्य का निर्माण किया था। उस समय प्रदेश भर को चार जिलों में बांटा गया और पंजाब हिल स्टेट्स को पटियाला और पूर्व पंजाब राज्य का नाम दिया गया। 1948 ई. में सोलन की नालागढ़ रियासत कों शामिल किया गया। अप्रैल 1948 में इस क्षेत्र की 27,018 वर्ग किमी. में फैली लगभग 30 रियासतों को मिलाकर इस राज्य को केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया। उस समय हिमाचल प्रदेश में चार जिला महासू, सिरमौर, चंबा, मंडी शामिल किए गए थे। प्रदेश का कुल क्षेत्रफल 27018 वर्ग किलोमीटर व जनसंया लगभग 9 लाख 35 हजार के करीब थी। श्रोत- (wikipedia)