MEDIA LIVE : स्थाई लोक अदालत: शिकायतकर्ता को बिल्डर कंपनी से मिला मुआवजा व फलैट का कब्जा !
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मीडिया लाइव : फलैट के कुल मुल्य की लगभग 95 प्रतिशत राशि लेने के बावजूद बिलडर कम्पनी ने तमाम बहाने बनाते हुए फलैट का कब्जा नहीं दिया। पीड़ित फलैट सम्पत्ति का कब्जा लेने के लिए स्थाई लोक अदालत में अपील की। अदालत ने बिलडर को नोटिस भेजा व न्यायालय में बुलाया, जहां बिलडर कंपनी ने फलैट का कब्जा देने में हुई देरी के लिए 86,940 रुपए वादिनी को दिए तथा नियमनुसार 15 दिनों के भीतर फलैट का कब्जा देने के लिए सहमति जताई।
शिकायतकर्ता सरोज कुमारी सैनी ने बताया कि उन्होंने एक फलैट यूनिट नं. 309 ब्लाॅक भागरथी 2 बिन्डलास रिवर वैली रेजिडेंसल अपार्टमैंटर्स स्थित कुआवाला हरिद्वार रोड़, देहरादून को क्रय करने के लिए बुकिंग कर अलग-अलग समय में फलैट के कुल मुल्य की लगभग 95 प्रतिशत धनराशि बिलडर कम्पनी विंडलास कन्सट्रक्शन को दी गई। लेकिन कम्पनी ने अनुबंध के अनुसार फलैट का कब्जा देने की तिथि बीत जाने के लगभग 2 वर्ष बाद तक भी उक्त फलैट का कब्जा नहीं दिया।
15 सितंबर को लोक अदालत में आया था मामला!
स्थायी लोक अदालत, देहरादून में दिनांक 15 सितम्बर 2021 को पीड़ित ने वाद दर्ज किया, जिसके बाद न्यायलय ने संबंधित कंपनी को नोटिस भेजे गये। 24 सितंबर 2021 को विपक्षी के अधिवक्ता उपस्थित हुए। स्थायी लोक अदालत के अध्यक्ष राजीव कुमार, सदस्यगण मंजुश्री सकलानी व उपेन्द्र सिंह ने दोनो पक्षों के बीच सुलह-समझौते के प्रयास किए, जिसमें 29 सितंबर 2021 को दोनों पक्षों के बीच आखिरकार समझौता हो गया। जिसके तहत बिल्डर कम्पनी ने प्रार्थिनी के फलैट का कब्जा देने में हुई देरी लिए 86,940 रुपए शिकायतकर्ता सरोज कुमारी सैनी को दिये।
महज 15 दिन में मिला पीड़ित को न्याय
यह वाद केस 15 सितंबर को वाद दर्ज किया गया था, जिसको स्थायी लोक अदालत ने तेजी के साथ सुनवाई कर 29 सितम्बर को सुलह-समझौते के आधार पर निस्तारित कर दिया। ऐसे में वादिनी को मात्र 15 दिन में न्याय मिल गया। बड़ी बात यह है कि इस पूरे मामले में वादिनी को कोई केस फीस नहीं देनी पड़ी। वादी ने अपनी पैरवी स्वंय की।
ये है लोक अदालत की आसान प्रक्रिया !
बता दें कि स्थाई लोक अदालत की प्रकिया बेहद सरल है। इसमें आम जन अपनी शिकायत को लिखित रूप में दाखिल कर सकता है। स्थायी लोक अदालत में कोई कोर्ट फीस नहीं लगती, मुआवजा और हरजाना तुरन्त मिल जाता है, मामले का निपटारा तुरंत हो जाता है, फैसला अंतिम होता है।
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