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MEDIA LIVE : भू कानून पर बनी समिति की महत्वपूर्ण बैठक आज !

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मीडिया लाइव: उत्तराखंड में युवाओं की मांग पर सियासी चिंता का विषय बन चुके भू-कानून के संवेदनशील मसले पर तमाम राजनीतिक दलों, स्टेक होल्डर और आम जन की राय ली जाएगी। इसके लिए भू-कानून में संशोधन पर विचार को गठित सुभाष कुमार समिति व्यापक स्तर पर जन सुनवाई करेगी। इतना ही नहीं पड़ोसी राज्य हिमाचल में लागू कानून का भी उत्तराखंड के परिप्रेक्ष्य में अध्ययन किया जाएगा। समिति की पहली बैठक आज होने जा रही है।

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तूल पकड़ चुका है भू कानून का मुद्दा!

मालूम हो कि राज्य में मौजूदा भूमि कानून में संशोधन का मुद्दा तूल पकड़ चुका है। पहाड़ी इलाकों में गांव गांव में जनता के बीच भूमि कानून को लेकर के चर्चाएं हो रही हैं। लोग भविष्य की जरूरतों, भूमि की उपलब्धता और कम कृषि जोत होने के कारण बेहद चिंतित हैं। इसीलिए राज्य के बुद्धिजीवी व युवा वर्ग ने इस बेहद संवेदनशील मुद्दे को लेकर अपनी चिंताएं जाहिर की हैं। इन्हीं वजहों से  उत्तराखंड (उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश और भूमि व्यवस्था अधिनियम, 1950)(संशोधन) अधिनियम में धारा-143(क) और धारा 154 (2) को जोड़े जाने का विरोध हो रहा है।

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संशोधित कानून का विरोध करने वालों का ये तर्क है !

भू-कानून के खिलाफ आवाज बुलंद करने वालों का कहना है कि उत्तराखंड की मौजूदा भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने पर्वतीय और मैदानी क्षेत्रों में कृषि भूमि खरीद की सीमा समाप्त कर दी है। लीज और पट्टे पर 30 साल तक भूमि लेने का रास्ता खोला गया है। इससे कृषि भूमि पर संकट खड़ा हो चुका है।

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भूख कानून में बदलाव को लेकर सोशल मीडिया पर चली थी मुहिम राजनीतिक दलों ने गंभीर माना मुद्दे को!

इंटरनेट मीडिया समेत विभिन्न मंचों पर भू-कानून के खिलाफ चल रही मुहिम को देखते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस मामले में पूर्व मुख्य सचिव सुभाष कुमार की अध्यक्षता में समिति गठित की है। समिति इस संबंध में अपनी रिपोर्ट तैयार करने से पहले सभी संबंधित पक्षों को सुनेगी। भू-कानून का विरोध कर रहे राजनीतिक दलों, स्वैच्छिक संस्थाओं और बुद्धिजीवियों की आपत्ति को भी सुना जाएगा।

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हिमाचल की तर्ज पर भू कानून की हो रही पैरवी!

समिति के अध्यक्ष सुभाष कुमार ने बताया कि सार्वजनिक सूचना के माध्यम से जन सुनवाई की जाएगी उन्होंने बताया कि उत्तराखंड में हिमाचल की तर्ज पर भू-कानून लागू करने की पैरोकारी की जा रही है। समिति ने हिमाचल के मौजूदा भू-कानून के बारे में जानकारी एकत्र की है। इसका अध्ययन किया जा रहा है। सभी पहलुओं पर मंथन के बाद समिति अपनी रिपोर्ट तैयार करेगी।

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