बुधवार देर रात शहीद राजेन्द सिंह नेगी का शव देहरादून लाया गया, शहीद को श्रद्धांजलि के साथ दी गई अंतिम विदाई
मीडिया लाइव, देहरादून: बुधवार देर रात शहीद राजेन्द्र सिंह नेगी का शव देहरादून लाया गया. काफी रात होने के कारण शव को सीधे मिलिट्री अस्पतला ले जाया गया. सुबह मिलिट्री अस्पताल से उनके सैनिक कॉलोनी, अम्बीवाला स्थित घर लाया गया.
जहां शहीद के शव के इंतजार में परिजन व परिवार के लोग 15 अगस्त से ही आस लगाए बैठे थे। क्योंकि उसी दिन शाहिद राजेन्द्र सिंह नेगी का शव 8 माह बाद बरामद हुआ था. लोगों में शहीद के अंतिम दर्शन को ले कर बेचैनी देखी जा सकती थी. बड़ी संख्या में लोग घरों की छतों पर चढ़ कर वीर सपूत के शव की झलक देखना चाह रहे थे. बता दें कि लापता सैनिक की खोजबीन व सलामती को लेकर परिवार व आम जनमानस ने काफी संघर्ष किया था. बीते चार दिनों से शहीद के घर मोहल्ले का मुआयाना करने प्रशासन और सेना के अधिकारी व कर्मचारी आ-जा रहे थे. स्थानीय समाज सेवी बरसात के चलते खराब रास्ते और सड़क को ठीक कराने में जुटे रहे, ताकि शव को घर लाने वाले वाहन और अन्य लोगो को दिक्कत न हो. इसके लिए पुख्ता इंतजाम किए गए . गुरुवार की सुबह जैसे ही ताबूत में 11वीं गढ़वाल राइफल के हवलदार का शव लेकर सेना के उनके साथी पहुंचे, अंतिम दर्शन को लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा।
अपने सपूत को तिरंगे में लिपटे देख वहां मौजूद लोगों की भीड़ रो पड़ी । प्रशासन व सेना के अधिकारियाँ से लेकर सेना के जवान तक फफक पड़े। इस दौरान परिवार में चित्कार की आवाज के साथ शहीद राजेन्द्र नेगी अमर रहे के नारे लगते रहे। राजेन्द्र नेगी जिंदाबाद, भारत माता की जय आदि देश भक्ति के नारों से आसमान गूंजने लगा। लोगों में अपने लाल के खोने का गम के साथ देशभक्ति परवान चढ़ गया था।
सेना के जवानो ने जैसे ही अपने साथी शहीद राजेन्द्र का शव वाहन से उतारा, वैसे ही मोहल्ले की गलियों व छतों से देखने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी। लोग अपने वीर सपूत को एक नजर देखने के लिए आतुर थे। शव को मिलिट्री हॉस्पिटल से शहीद के घर लाया गया, जहां शहीद की पत्नी बच्चों सहित अन्य परिजन फूट-फूटकर रोने लगे। सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत सहित सैन्य अधिकारियों ने शहीद की पार्थिव देह पर पुष्प चक्र चढ़ा कर श्रद्धांजलि दी. साथ ही शहीदों के परिवारों को हर सम्भव मदद की बात कही.
पत्नी बच्चे व बाकी परजिजन तो शव के साथ ऐसे लिपट गयी कि वह अपने शहीद पति-पिता को छोड़ना नहीं चाह रहै हों। घर के बुजुर्गों का भी रो-रो कर बुरा हाल था. इसके बाद करेब पौने 11 बजे के लगभग अंतिम दर्शनों के बाद शव को अंतिम संस्कार के लिए हरिद्वार स्थिति श्मशान घाट ले जाया गया।