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अब देहरादून में मिलेगा लेज़र डेंटिस्ट्री से विश्व स्तरीय इलाज…

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मीडिया लाइव, देहरादून: दुनिया के कुछ चुनिंदा देशों के बाद अब भारत में भी लेजर डेंटिस्ट्री आम लोगों तक पहुँच बनाने के लिए तैयार है। इस क्षेत्र में दुनिया के चुनिंदा रोम कैथिलिक विश्वविद्यालय से लेजर डेंटिस्ट्री में उच्च विशेषज्ञता वाले दो साल के मास्टर डिग्री प्रोग्राम की पढ़ाई करने के बाद देहरादून के जाने माने दंत चिकित्सक डॉ नितीश कम्बोज अपने पेशंट को उपलब्ध करने जा रहे हैं। अब इस सेवा का लाभ देश में ही नहीं बल्कि उत्तराखंड में देहरादून के दंत रोगियों को बेहद आसानी से उपलब्ध होने जा रहा है।

डॉ कम्बोज ने बताया कि यूं तो वे बहुत पहले से इस सेवा का लाभ दन्त रोगियों को मुहैया करवा रहे थे। लेकिन अब वे अपनी लेजर डेंटिस्ट्री में विशेषज्ञता डिग्री के लेने के ज्यादा अनुभव के साथ दुनिया की इस बेहतरीन और जबरदस्त प्रभावशाली तकनीक का लाभ अपने मरीजों को देने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। अब तक यह माना जाता था कि लेजर तकनीक का उपयोग आमतौर पर चिकित्सा क्षेत्र में आँख, ब्रेन में और बाकी के जरूरी अंगों पर बहुत ज्यादा इस्तेमाल होता है। लेकिन बाकी दुनिया के मुकाबले डेंटिस्ट्री के मामले इस तकनीक का भारत में बहुत कम स्तेमाल हुआ। इसलिए यहाँ इस तकनीक का उपयोग बहुत कम प्रचलन में रहा है।

अब इस सम्भावना के दरवाजे पूरी तरह खुल गए हैं। डॉ काम्बोज ने बताया कि दुनिया में महज दो जगहों पर ही लेजर डेंटिस्ट्री की हायर एजुकेशन के कोर्स उपलब्ध हैं। पहला है पोलैंड में और दूसरा कैथोलिक यूनिवर्स्टी रोम, जिसे एमएससी लेजर डेंटिस्ट्री लेवल टू के नाम से संचालित किया जाता है। उन्होंने कहा भारत से इस पढ़ाई को मैंने पूरा कर लिया है। यह दो साल का कोर्स होता है।वे बताते हैं एक साल हमने ये कोर्स यूरोप में स्लोमेनिया में इलाहा मास्टर्स के तौर पर किया और इसके बाद दोसरे साल सीधे प्रवेश रोम कैथलिक यूनिवर्सिटी में मिल गया, जिसमें हमारी दूसरे साल की पढ़ाई पूरी हुई। लेजर डेंटिस्ट्री में यह विश्व की सबसे हायर एजुकेशन है। इसमें स्टूडेंट को थीसिस और क्लीनिकल केसेस प्रेजेंट करने पड़ते हैं, उनके अप्रूव होने के बाद ही विश्वविद्यालय से एमएससी लेवल टू की यह दो साल की डिग्री हासिल हो पाती है। इस कोर्स के अंतर्गत यूनिवर्सिटी में दुनिया के विभिन्न विश्वविद्यालयो से एक्सपर्ट और अनुभवी टीचर पढ़ाने ने लिए आते हैं। इसके लिए पांच बार रोम जाना पड़ा और छ बार इसकी परीक्षाएं आयोजित हुई और थीसिस प्रस्तुतीकरण किया गया।

डॉक्टर कांबोज का कहना है कि वे भारत के पहले दंत चिकित्सक हैं, जिन्होंने लेजर तकनीक में विश्व स्तरीय यूनिवर्सिटी से यह मास्टर डिग्री हासिल की है। यह डिग्री उन्हें रोम के इटली शहर में हुए ग्रेजुएशन सेरेमनी में प्रदान की गई। डॉक्टर कांबोज बेहद ख़ुशी के साथ बताते हैं कि रोम विश्वविद्यालय से इस यात्रा को पूरा करने वाले भारत के पहले दंत चिकित्सक के रूप में सामने आए है जिसपर उन्हें बहुत गर्व महसूस हो रहा है। उन्होंने बताया लेजर दंत चिकित्सा में अब तक का यह सबसे उच्चतम और अंतिम स्तर का कोर्स है। ख़ुशी जताते हुए वे कहते हैं कि वह अब अपने मरीजों को उच्चतम तकनीक के जरिए मदद करने के उद्देश्य से इस पढ़ाई का लाभ पहुंचाने का काम करेंगे।

उनका कहना है कि अब तक भारत में लेजर तकनीक का उपयोग आंखों के इलाज और अन्य तरह के विभिन्न में होता आया है।लेकिन अब वे देहरादून स्थित अपने क्लिनिक में पहली बार लेजर तकनीक के जरिए दांतों के सभी प्रकार के इलाज कर सकेंगे। डॉक्टर कांबोज दून के हरिद्वार रोड पर लक्ष्मी डेंटल एंड इंप्लांट सेंटर के माध्यम से उत्तराखंड और पश्चिमी उत्तरप्रदेश और हिमाचल के लोगों का दांतों का इलाज कर रहे हैं।