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MEDIA LIVE : तू होली ऊंची डांड्यूं मा वीरा घस्यारी का भेष मा : स्व जीत सिंह नेगी को विनम्र श्रद्धांजलि

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 तू होली ऊंची डांड्यूं मा वीरा घस्यारी का भेष मा, खुद मा तेरी सड़क्यों पर रोणु छो छः प्रदेश मा ….

मीडिया लाइव: इस खूबसूरत गीत के गीतकार महान गायक स्व जीत सिंह नेगी को विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। दो तीन बार उनसे मिलना हुआ था, बहुत सरल व्यक्ति थे. उनसे मिलते ही कुछ न कुछ पंक्तियां गुनगुना देते थे. नेगी जी मुल मुल हंस लेते थे. गीतों में पूरा पहाड़ दिखता है, उनकी रचनाएं आवाज़ देती रहेंगी.

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नेगी जी का यह गीत तू होली वीरा …. अमर हो गया है। हम सब लोग जैसे जैसे पहाड़ों को छोड़कर मैदान में बसेंगे, यह खुदेड गीत याद आता रहेगा. जब तक डांडे यानी पहाड़ रहेगा, यह गीत याद आता रहेगा.

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जहां पर घस्यारी का भेष मा, उन्होंने पहाड़ की मौलिक और यथार्थ कल्पना को पंख लगा दिये थे. जिन लोग ने घास और घस्यारी नहीं देखी है उनको शोध करना चाहिए । घास , घस्यारी नहीं रहेगी, तो सृष्टि की कल्पना करना बेकार है। घास से पशु पलते हैं और पशुओं से मानव.अन्न नहीं रहेगा तो क्या होगा. ऊंची डांडियों मा. – यानी पहाड़ के पीछे पहाड़ उसके पीछे पहाड़ फिर छोटा डांडा. जहाँ घस्यारी घास काटने जाती है. और फिर अपने मुंड में घास लाती है। याद – वो सचमुच की याद होती थीं, जो याद होती थी, बडुली (हिचकी) लगने पर अहसास होता था.
तू होली वीरा , कितना शानदार नाम था. वीरा मतलब कर्णावती, बहादुर महिला, वीर से वीरा बना होगा.
विनम्र श्रद्धांजलि नेगी जी , अच्छे गीतकार, गायक थे आप, उससे भी बढ़िया इंसान थे आप.

 

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                                                                                                                                                “शीशपाल गुसाईं की कलम से”..

फोटो श्री नरेंद्र सिंह नेगी की वाल से.