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नमामि गंगे: गंगा संरक्षण मिशन शुरू

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मीडिया लाइव, गोपेश्वर: नदियों से प्रदूषण को समाप्त करने और पुर्नजीवित करने के लिए नमामि गंगे के तहत गंगा संरक्षण मिशन का शुभांरभ किया गया है। नमामि गंगे परियोजना के तहत जिला गंगा संरक्षण समिति की पहली बैठक जिलाधिकारी आशीष जोशी की अध्यक्षता में जिला कार्यालय सभागार में संपन्न हुई। जिसमें गंगा सरंक्षण के लिए जिला स्तर पर बेहतर समन्वय बनाकर प्रभावी कार्य योजना तैयार करने तथा निगरानी तंत्र को बेहतर बनाने एवं सबकी भागीदारी सुनिश्चित करने पर चर्चा की गयी।
जिलाधिकारी ने पेयजल, सिंचाई, नगर पालिका तथा स्वजल को आपसी समन्वय बनाकर गंगा संरक्षण के तहत जिले का प्लान तैयार करने तथा नदी किनारे बसे सभी ग्राम पंचायतों के संरपच को गंगा संरक्षण कार्यक्रम का नोडल अधिकारी नामित करने के निर्देश दिये है। नगर निगमों से आने वाले कचरे की समस्या को हल करने के लिए अगले 5 वर्षो में अतिरिक्त एलएलडी ट्रीटमेंट कैपेसिटी का निर्माण किया जाना आवश्यक है। चारधाम यात्रा मार्गो पर आने वाले यात्रियों की आवश्यकता के अनुसार शौचायल की डिमांड तैयार करने को कहा। उन्होंने कहा कि सभी घरों, होटलों एवं धर्मशालाओं के शिविर को एसटीपी के साथ टैप किया जाना आवश्यक है। उन्होंने नमामि गंगे परियोजना के अधिकारियों को जिला स्तर पर गंगा संरक्षण प्लान तैयार करने हेतु निर्धारित प्रारूप उपलब्ध कराने को कहा। जिससे गंगा संरक्षण के तहत जिलों में बनने वाले प्लानों में एकरूपता रहे। उन्होंने जिला स्तर, प्रत्येक ब्लाक एवं नदी किनारे बसी सभी ग्राम सभाओं में स्वच्छता के प्रति जन जागरूकता कार्यक्रम संचालित करने को कहा। लोगों को जागरूक करने के लिए सभी घाटों पर होर्डिंगंस लगाने के निर्देश दिये। नदी, नालों, सड़क व रास्तों में कूडा फेकने वालों के खिलाफ सख्त कार्यवाही करते हुए जुर्माना लगाने के निर्देश नगर पालिकाओं को दिये।
जिलाधिकारी ने कहा कि शुरूवाती ंस्तर की गतिविधियों के अंतर्गत नदी के ऊपरी सतह की सफाई से लेकर बहते हुए ठोस कचरे की समस्या को हल करने, ग्रामीण क्षेत्रों की सफाई से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों की नालियों से आते मैले ठोस एवं तरल पदार्थ और शौचालयों के निर्माण, शवदाह गुह का नवीकरण, आधुनिकीकरण किया जाना आवश्यक है। ताकि अधजले या आंशिक रूप से जले हुए शव को नदी में बहाने से रोका जा सके। लोगों और नदियों के बीच संबध को बेहतर करने के लिए घाटों का निर्माण, मरम्मत और आधुनिकीकरण का कार्य किया जा रहा है। उन्होंने नदी के किनारे स्थित प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों को गंदे पानी की सफाई करने के उपरान्त ही छोडने को कहा। बैठक में जैव विविधता संरक्षण, वनीकरण और पानी की गुणवत्ता की निगरानी के लिए भी आवश्यक कार्य करने पर भी चर्चा की गयी तथा पानी की गुणवत्ता की निगरानी रखने पर जोर दिया गया।
वरिष्ठ पर्यावरण विशेषज्ञ विक्रांन्त त्यागी ने कहा कि नमामि गंगे कार्यक्रम के अन्तर्गत बद्रीनाथ, जोशीमठ, गोपेश्वर, नन्दप्रयाग तथा कर्णप्रयाग में आई एण्ड डी विद् एसटीपी योजना स्वीकृत की गयी है। जिसकी कुल लागत 14705.09 लाख है। इस योजना के अन्तर्गत सीवर लाईन, नाला टेपिंग, घाटों का आधुनीकरण आदि कार्य किये जाने प्रस्तावित है। उन्होंने बताया कि जिला स्तर पर गठित गंगा संरक्षण समिति में जिलाधिकारी अध्यक्ष तथा नगर पालिका परिषद गोपेश्वर, कर्णप्रयाग, ईई लोनिवि, सिंचाई, जल निगम, जल संस्थान, सीएमओ, डीएफओ, परियोजना प्रबन्धक स्वजल, व्यापार संघ गोपश्वर के चैयरमैन अंकोला पुरोहित, जय मां नन्दा समिति से चन्द्रकला तिवारी तथा यूको क्लब जोशीमठ के सतीश चैहान सदस्य के रूप में नामित है। जिला गंगा संरक्षण समिति की हर तीन माह में जिला स्तर पर बैठक कर समय-सयम पर माॅनिटरिंग की जायेगी। इससे पूर्व नदियों को साफ रखने तथा घर एवं शहरों में साफ-सफाई रखने हेतु संकल्प भी लिया गया।
इस अवसर पर मुख्य विकास अधिकारी विनोद गोस्वामी, ईई जल निगम एके रस्तोगी, टीम सहायक संदीप उनियाल, ईई लोनिवि डीएस रावत, परियोजना प्रबन्धक स्वजल केएस रावत, ईओ नगर पालिका अनिल कुमार, प्रभारी ईओ नितिन सती, चन्द्रकला तिवारी सहित समिति के अन्य सदस्य उपस्थित थे।