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विधान सभा चुनाव 2017: मेरे पास कुछ सीटें कन्फर्म

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मीडिया लाइव, ब्यूरो: सतपाल महाराज का दावा है कि उनके पास कुछ ऐसी सीटें हैं जो निश्चित रूप से बीजेपी की जीत सुनिश्चित करेंगी.महाराज का कहना है कि ऐसे में अगर पार्टी चाहेगी तो वो विधान सभा चुनाव भी लड़ सकते हैं.ऐसे में जनता और पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच चर्चाओं का दौर फिर शुरू हो गया है कि 2017 विधानसभा चुनाव में महाराज की क्या भूमिका होगी.इतना ही नहीं बीजेपी की परिवर्तन यात्रा के पोस्टर में जिस तरह से सतपाल महाराज को जगह दी गई, उससे उनके प्रभाव का अंदाजा लगाना कुछ आसान तो हो ही जाता है. लेकिन महाराज के लिए एक दम से खुल कर सामने आना भी अभी आसान नहीं है. बीजेपी में इस वक्त कार्यकर्ताओं की कम और नेताओं की लाइन ज्यादा लम्बी हो गयी है.असली लड़ाई प्रदेश में सत्ता के शिखर के नेतृत्व को लेकर होनी तय है. हर कोई इस रेस में बना हुआ रहना चाहता है. जैसे ही चुनाव का ऐलान होगा ये लड़ाई ज्यादा तेज होती दिखाई देगी.फिर घमासान टिकट बंटवारे को लेकर भी सामने आ सकता है. कांग्रेस छोड़ कर बीजेपी में आए उन बागियों को लेकर भी अभी स्थिति साफ़ नहीं है की सबको टिकट मिलेगा ही, ऐसा बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष भी अपने बयानों में साफ़ कर चुके हैं.कई ऐसे नेता भी हैं जो न सिर्फ अपने टिकट की पैरवी कर रहे हैं बल्कि अपने परिवार  और अन्य करीबियों के लिए भी टिकट की ख्वाहिश पाले बैठे हैं.लिहाजा इन तमाम मुद्दों से निपटना भी पार्टी आलाकमान के लिए आसान नहीं होगा.

वहीं कांग्रेस के सामने भी मुसीबते कम नहीं है. लेकिन यदि हरीश रावत बागियों को चुनाव में जाने से रोकने में कामयाब हो गए तो उनकी राह कुछ आसान जरूर हो सकती है. हरीश के अलावा कांग्रेस के बाकी प्रभावशाली नेता फिलहाल बगावत कर बीजेपी में जा चुके हैं. प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय और मुख्यमंत्री हरीश रावत के बीच की लड़ाई भी अब थमती दिख रही है.राजनीति के जानकार मानते हैं कि हरीश रावत राज्य की 40 से 45 सीटों पर ही पूरा फोकस करेंगे. फिलहाल कांग्रेस को कुमाऊं में मजबूत स्थिति में होना बताया जा रहा है.बीजेपी ने भी हरीश रावत को उन्ही के घर में घेरने की जो रणनीति बनायी है.उसके मुताबिक़ कुमाऊं की सीटों पर बीजेपी ज्यादा से ज्यादा फोकस करेगी और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भी कुमाऊँ से आते हैं.राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की बड़ी रैलियां भी कुमाऊँ में आयोजित की गयी. जहां बीजेपी कार्यकर्ताओं में अच्छा खासा जोश देखने को मिला.लेकिन इतने भर से बीजेपी को कुमाऊं की सीटों पर बड़ा लाभ मिल सकेगा ऐसा कहना जल्दबाजी होगी. हरीश रावत सियासी जानकारों की नजर में इस वक्त सूबे में सबसे बड़े राजनीतिक शख्शियत के तौर पर अपनी पैठ जमा चुके हैं. बताया जा रहा है की हरीश रावत ने 18 मार्च के घटनाक्रम के बाद से ही पूरी चुनावी तयारी कर ली थी. बहार हाल यह तैयारी अभी बीजेपी के मुकाबले जयादा सामने नहीं दिखाई दे रही है. परिवर्तन यात्रा के जरिये बीजेपी ने जनता के बीच चुनावी माहौल बनाने में बढ़त हासिल कर ली है.

  लोक सभा चुनाव से ऐन पहले कांग्रेस का दामन छोड़ कर बीजेपी में शामिल हुए वरिष्ठ नेता सतपाल महाराज को लेकर बहस मुबाइशों का मजेदार दौर जारी है. लोगों का कहना है की यदि महाराज विधान सभा का चुनाव लड़ने को लेकर संकेत दे रहे  हैं, इसका मतलब यह है की पार्टी हाई कमान को भी यह जानकारी बेहतर ढंग से पता होगी या फिर कहीं न कही किसी बड़े इशारे को समझ कर महाराज जनता के बीच चुनाव लड़ने की बात कह रहे हो. बहरहाल जो भी हो महाराज के नाम पर अभी बीजेपी में एका होना बेहद मुश्किल है. हालांकि चुनाव परिणाम और महाराज के अंतिम तौर पर विधान सभा चुनाव लड़ने से काफी कुछ तस्बीर जरूर साफ़ हो जाएगी.