विधानसभा चुनाव को लेकर कसरत शुरू

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मीडिया लाइव: भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली उत्तराखण्ड सरकार अगले चुनाव की तैयारी को लेकर संजीदा होती दिखने लगी है। मुख्यमंत्री ने अपनी कैबिनेट सहित तमाम पार्टी विधायकों को जनता के बीच जाकर राज्य सरकार की विकास योजनाओं का लाभ पहुंचाने के लिए गंभीरता से काम करने के निर्देश दिये हैं। सीएम ने पिछले दिनों विधायकों के साथ बैठकें की हैं और उनके सुझाव भी सरकार के काम काज में शामिल करने का आश्वासन दिया है। सीएम कह चुके हैं कि सभी पार्टी विधायकों और कार्यकर्ताओं को सरकार की नीतियों को जन-जन तक पहुंचाने में जुटना चाहिए।
दूसरी तरफ बीजेपी प्रदेश संगठन का विस्तार लगभग हो चुका है। कुछ मोर्चों पर पदाधिकारियों की घोषणाएं औपचाकिता भर रह गयी हैं। प्रदेश अध्यक्ष वंशीधर भगत पहले ही त्रिवेंद्र सिंह रावत के नेतृत्व में 2022 के विधान सभा चुनाव में सभी 70 सीटों पर जीत हासिल करने का ऐलान कर चुके हैं। इससे साफ लगता है कि पार्टी संगठन चुनाव को लेकर अभी से बेहद उत्साहित है। लेकिन आम कार्यकर्ता पार्टी पदाधिकारियों और सरकार के दावों और घोषणाओं को कितनी गंभीरता से ले रहे हैं, इस पर अभी संशय है।
राज्य में 57 विधायकों वाली अब तक की सबसे मजबूत सरकार चलाने का सुनहरा मौका त्रिवेंद्र सिंह और उनके कैबिनेट के सहयोगियों को हासिल हुआ है। चर्चा है कि जल्द ही टीएसआर मंत्रिमण्डल का विस्तार करेंगे। कयास लग रहे हैं कि गैरसैंण विधान सभा सत्र के बाद कभी भी सरकार का आकार बढ़ सकता है। बताते चलें कि अभी मंत्रिमण्डल की तीन सीटें खाली हैं। जिसमें 18 मार्च 2017 से सरकार के गठन के मौके से दो मंत्रिमण्डल के पद खाली हैं और एक कैबिनेट की कुर्सी पिथौरागढ़ से पूर्व विधायक और सरकार में वित्त मंत्री रहे प्रकाष पंत की मृत्यु के बाद से रिक्त हुई है। उनके पास जो विभाग थे उनमें से सिबाय संसदीय कार्य के सभी मुख्यमंत्री के पास हैं। यहां तक कि वित्त मंत्री के तौर पर इस बार का बजट खुद मुख्यमंत्री गैरसैंण में चलने वाले विधानसभा सत्र में पेष करेंगे। यह बतौर वित्त मंत्री भी उनके लिए एक नया अनुभव होने वाला है। सबकी निगाहें बजट 2020-21 पर लगी हुई हैं कि इस बार राज्य का बजट कैसा होगा। सरकार का फोकस राज्य के विकास के किस क्षेत्र पर रहेगा। सरकार प्लान और नाॅन प्लान के लिए बजट में किस तरह से संतुलन बनाएगी। यह भी बहुत कुछ बजट के आकार को देख कर ही पता चलेगा। अभी तक जो जानकारी सरकार की तरफ से निकल कर आई है, उसमें यह बताया जा रहा है कि बजट मौजूदा वित्त वर्ष की तुलना में करीब 10 फीसदी बढ़ाया जा रहा है। अगर ऐसा होता है, तो देखने वाली बात यह होगी कि करीब 53 हजार करोड़ के अनुमान वाले बजट के लिए सरकार धन की व्यवस्था किन श्रोतों से करेगी और योजनागत और गैरयोजना गत बजट के लिए वित्तीय लेन देन के लिए कौन से संसाधनों और श्रोतों पर सरकार का फोकस होगा। राज्य में बेरोजगार युवा आंदोलित होते दिख रहे हैं। वहीं सरकारी कर्मचारियों की प्रमोशन में आरक्षण के साथ ही तमाम विभागों में वेतन विसंगतियों के मामले लगातार सामने आ रहे हैं। इन सब चुनौतियों से आखिर त्रिवेंद्र सरकार कैसे निपटेगी। इतना जरूर है कि सूबे में अगले विधानसभा चुनाव को लेकर चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है। सियासी पार्टियां भी सक्रिय होने लगी हैं। सबकी निगाहें देश के सियासी हालात पर टिकी हैं। इस साल के आखिर और अगले साल की आत में बिहार और पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव होने हैं। वहीं देश में मौजूदा सरकार की नीतियों के पक्ष और विरोध का कितना असर इन चुनावों पर पड़ेगा, यह भी उत्तराखण्ड के सियासी माहौल में देखने को मिल सकता है। बहरहाल पर्वतीय राज्य उत्तराखण्ड की अपनी चुनौतियां हैं, जिनका समाधान यहां के नीतिनियंताओं को ही करना है।