MEDIA LIVE : पीके का मिशन बिहार: नई पार्टी बनाने पर प्रशांत किशोर ने दिया जवाब, करेंगे 3000 किलोमीटर की पदयात्रा
मीडिया लाइव , नई दिल्ली : चुनावी रणनीतिकार Prashant Kishor News प्रशांत किशोर ने कहा कि फिलहाल कोई राजनीतिक पार्टी बनाने नहीं जा रहा हूं, लेकिन मैं 17 हजार लोगों से बात करूंगा। अगर इस स्थिति में सभी लोग पार्टी बनाने के लिए तैयार होते हैं तो फिर पार्टी बनाने पर विचार किया जाएगा।
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चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने राजनीति में अपने आने को लेकर खुद प्रेस वार्ता कर स्थिति को स्पष्ट कर दिया है। उन्होंने कहा कि फिलहाल कोई राजनीतिक पार्टी बनाने नहीं जा रहा हूं लेकिन मैं 17 हजार लोगों से बात करूंगा। अगर इस स्थिति में सभी लोग पार्टी बनाने के लिए तैयार होते हैं तो फिर पार्टी बनाने पर विचार किया जाएगा लेकिन वह पार्टी सिर्फ मेरी नहीं होगी बल्कि उन सभी लोगों की होगी जो इसमें योगदान करेंगे। कदम से कदम मिलाकर साथ चलेंगे। इसके अलावा प्रशांत किशोर ने दो अक्तूबर से बिहार के पश्चिमी चंपारण से 3,000 किलोमीटर की ‘पदयात्रा’ की भी घोषणा की है। उन्होंने कहा कि बिहार में फिलहाल चुनाव नहीं इसलिए अभी पार्टी बनाने पर कोई बात नहीं होगी। मैं अगले तीन-चार साल तक बिहार के लोगों तक पहुंचने में लगाऊंगा। पीके ने कहा कि वे जन सुराज के लिए गांव-देहात जाएंगे और एक-एक लोग से संपर्क करेंगे।
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प्रशांत किशोर ने कहा कि बिहार आज 30 साल के लालू और नीतीश के राज के बाद भी देश का सबसे पिछड़ा और गरीब राज्य है। विकास के कई मानकों पर बिहार आज भी देश के सबसे निचले पायदान पर है। बिहार अगर आने वाले समय में अग्रणी राज्यों की सूची में आना चाहता है तो इसके लिए नई सोच और नए प्रयास की जरूरत है।
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प्रशांत किशोर ने कहा कि आने वाले 10 से 15 सालों में अगर बिहार में बदलाव लाना है तो जिन रास्तों पर बिहार चल रहा है उससे नहीं पहुंच सकते हैं। इसके लिए नई सोच और नए प्रयास की जरूरत है। कोई भी व्यक्ति यह दावा नहीं कर सकता है कि यह सोच और नई प्रयास की क्षमता किसी एक व्यक्ति के पास है। बिहार के प्रत्येक नागरिक को आगे आने की जरूरत है तभी जाकर प्रदेश की स्थिति सुधरेगी।
मेरी टीम ने करीब 17 हजार 500 लोगों को चिन्हित किया है, जिनसे में मिलने वाला हूं। जन-सुराज (गुड गवर्नेंस) की जो सोच है उसको जमीन पर लाने पर बात होगी। पिछले तीन दिनों में 150 लोगों के साथ बैठक कर चुका हूं।
पीके ने कहा कि कई लोगों का मानना है कि बिहार में केवल जाति के आधार पर वोट मिलता है। मैं जाति नहीं बल्कि समाज के सभी लोगों को जोड़ने की कोशिश कर रहा हूं। मैं कोरोना के खत्म होने का इंतजार कर रहा था ताकि किसी नई योजना पर काम कर सकूं। अगर मैं कोरोना के दौरान यात्रा की शुरुआत करता तो लोग मुझपर सवाल खड़ा करते।
IMAGE : SOCIAL EDIA