क्या है यूके शान जानिये

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मीडिया लाइव : उत्तराखंड में पलायन के कई पहलू हैं. इसी तरह इसके नुक्सान भी अलग-अलग हैं. लेकिन क्या इस पर सिर्फ हो हल्ला ही मचाया जा सकता है या इन्हें काम करने के लिए कोई पहल भी की जा सकती है. जिससे यहाँ से पलायन कर चुके लोगों को अपनी जड़ों से जोड़े जाने की पहल भी की जानी चाहिए. पहाड़ से पलायन के तौर पर शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के नाम पर यहाँ के वाशिंदे परिवार सहित मैदानी भागों और शहरों की तरफ तेजी से रुख करते जा रहे हैं. जिससे गांव के गांव बीरान होते जा रहे है. ऐसे लोगों के पारम्परिक घर लगातार खंडहर में तब्दील होते जा रहे हैं. ऐसा नहीं है की लोगों को इसकी पीड़ा शालती नहीं है. पर कोई ऐसे घरों का रखरखाव करे भी तो कैसे और इनका क्या उपयोग हो सकता है इस पर भी किसी का ध्यान नहीं जा रहा है. सरकार भी इस दिशा में अब तक सोच नहीं पाई है.ऐसे में उम्मीद की एक किरन दिखने की कोशिश की है एक युवा ने जो गांव के बीरन घरों को सजो कर रखना चाहते हैं, जिससे प्रवासियों के घरों को मेंटेन किया जा सके और उन्हें कई तरह से उपयोग में लाया जा सकता है. इस युवा ने ये शुरूआत की है अपने पैतृक गांव से. उन्होंने गांव के ही कुछ नौजवानो को साथ लेकर पुस्तैनी घरों की देखभाल और रखरखाव को आसान करने की दिशा में कदम बढाए हैं।
ये नउजवान हैं हरीश जोशी. वे हाल ही में संपन्न हुए पंचायत चुनाव में बतौर क्षेत्र पंचायत सदस्य निर्वाचित हुए हैं. हरीश ने यूके शान नाम से एक मुहीम शुरू की हैं। इसमें गांव में वीरान पड़े घरों में दुबारा रौनक लौटाना उनका उद्देश्य है। हरीश इंजीनियरिंग में मास्टर डिग्री हैं और इसी सर्विस को डिजिटल रूप देकर इसको पूरे उत्तराखंड में चलना चाहते हैं। शुरुआत अपने गॉव से कर चुके हैं।
उनका खाना है कि ब्लॉक लेवल से भी यह कार्य करवाने के लिए कोशिश करेंगे, ताकि घरों से दूर रहे प्रवासी बिना किसी चिंता के अपने घरों से जुड़े रहें। उनका कहना है कि चुनाव के समय महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले प्रवाशियो हेतु यह छोटी सी पहल की जा रही है जिसे लोगों के सहयोग से आगे पढ़ना है।