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इस बम से बचेंगे खेत और जंगल

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बीज बम अभियान के अगुआ द्वारिका प्रसाद सेमव

बम और बीज एक दूसरे के उलट हैं। एक विध्‍वंस का प्रतीक है तो दूसरा जीवन का। लेकिन बम भी जीवनदायी हो सकता है । जी हां, इसी सोच के साथ चल रहा है बीज बम अभियान। जिसके अगुआ हैं सामाजिक कार्यकर्ता द्वारिका सेमवाल। सेमवाल लंबे समय से खेती किसानी को बचाने की दिशा में काम कर रहे थे। जिसके लिए वे भारत भर में घूमे। खेत और किसान के अर्थशास्‍त्र को समझा। किसानों की परेशानियों और खेती के घटते रकबे देखा। फसलों पर जंगली जानवरों के कहर को महसूस किया। ये समस्‍या उत्‍तराखंड समेत पूरे देश में दिखी। नतीजा, किसान खेती से विमुख और खेती बंजर। मानव वन्‍य जीव संघर्ष की ये असल वजह है। इस समस्‍या पर उन्‍होंने काफी सोच विचार किया। फिर उन्‍होंने एक कारगर युक्ति निकाली, बीज बम। बीज के साथ मिट़टी, गोबर और कागज को गूंथा। फल सब्जियों के बीज भरे इस बम को जंगलों के लिए तैयार किया गया। अब जंगलों में बम बरसाने की चुनौती थी। इसके लिए हजारों हाथ चाहिए थे। यहां सेमवाल को सामुदायिक सहभागिता का अनुभव काम आया। वे उत्‍तरकाशी में अपने गांव कमद पहुंचे। पंचायत के साथ मिलकर प्रयोग के तौर पर कुछ बीज बम जंगल में डाले गए। एक साल में जंगल में सब्‍जी की बेलें और फलों की पौध निकल आई। फिर इसे बड़े अभियान की शक्‍ल दी गई। साल 2018 कमद इंटर कॉलेज के छात्र-छात्राओं से इसकी शुरुआत हुई। स्‍कूली बच्‍चों ने ग्रामीणों के साथ मिलकर जंगल में खूब बम बरसाए। एक रचनात्‍मक और नवाचारी मुहिम शुरू हो गई। जिसे जन-जन की मुहिम बनाने को कदम बढ़ाए। स्‍कूलों, कॉलेजों, पंचायतों और अन्‍य संस्‍थानों को साथ लिया गया। 2019 में 31 से 25 जुलाई तक बीज बम सप्‍ताह का आयोजित हुआ। जिसका आगाज देहरादून में हुआ। खुद सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत व राज्‍यपाल बेबी रानी मौर्य ने जंगल में बीज बम फेंके। इसके अलावा कई जनप्रतिनिधियों व अधिकारियों ने इस मुहिम में शिरकत की। देहरादून, उत्‍तरकाशी, टिहरी, पौड़ी, चमोली, रुद्रप्रयाग, अल्‍मोड़ा, पिथौरागढ़ व बागेश्‍वर जिले में बीज बम बरसे। इसके अलावा राजस्‍थान, हिमांचल, यूपी, झारखंड, पंजाब व चंडीगढ़ में भी बीज बम सप्‍ताह हुए। कुल मिलाकर सात राज्‍यों में 502 जगहों पर हजारों हाथों ने बीज बम बरसाए। बकौल सेमवाल, कोशिश है कि सेना और अर्धसैनिक बल भी इस मुहिम से जुड़ें। अभियान की सोच मानव वन्‍य जीव संघर्ष को काम करना है। जंगलों में भोजन की कमी से ही वन्‍य जीव इंसानी बस्तियों की ओर आते हैं। मौसम चक्र में बदलाव, वनस्‍पतियों का दोहन जैसी वजहें जंगलों की उत्‍पादकता पर असर डाल रही हैं। जंगलों की इको सिस्‍टम और खाद्य श्रृंखला ठीक करना जरूरी है। इसमें बीज बम मददगार साबित हो सकते हैं, भविष्‍य में निश्चित तौर पर इसके सुखद परिणाम दिखेंगे।

बीज बम सप्तानह का आगाज करते सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत