आपबीती : असंवेदनशील नौकरशाह राज्य की मवासी घाम लगा देंगे

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विजयपाल रावत, बड़कोट।

बड़कोट अस्पताल में दो निष्क्रिय वेंटिलेटर ,
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पूरी दुनिया में कोराना का हाहाकार मचा है, इटली जैसे देशों के पास नये वेंटिलेटर नहीं मिल रहे, और हमारे छोटे से कस्बे बड़कोट में एक नहीं दो-दो वेंटिलेटर है। है ना गजब, आओ पूरा किस्सा सुनाता हूँ।

अभी कुछ दिन पहले बड़कोट में दुर्घटना के कारण 6 लोगों की दुखद मृत्यु हो गयी। बड़कोट के सरकारी अस्पताल की व्यवस्था पर जब मेरा ध्यान गया तो पता चला वहां दो वेंटिलेटर और आईसीयू बैड भी है। गेल इंडिया कंपनी ने अपने सीएसआर फंड से शायद ये दिये होंगे, लेकिन उत्तराखंड सरकार द्वारा टैक्निकल स्टाफ उपलब्ध ना होने के कारण, वो जैसे आये थे वैसे ही अनयूजड हैं।

सोचा फेसबुक पर चटपटी खबर क्या लिखूं, सिधा स्वास्थ्य सचिव नीतीश कुमार झा से ही मिल लेता हूँ। मुख्यमंत्री से मिलना तो अब काफी टफ हो गया है। पौन घंटे बाद मिलने का नंबर आया, बंदे ने बैठने तक को नहीं बोला, कागज पकड़ कर बगैर उसमें नजर डाले, मेरी आधी बात सुन कर, स्वास्थ्य सेवाओं का सूबेदार बस इतना बोला “मैं इसे दिखवा लेता हूँ।

मैंने मन में सोचा, अबे तु मुझ पर डाउट कर रहा है या मेरी शिकायत पर, मैं क्या तुझसे झूठ बोलने यहाँ आया हूँ। खैर गंदे पर मिट्टी डाल नेकी कर दरिया में डाल, मेरा पुराना हिसाब है। मैं जल्दी में था, सोचा आराम से इस व्यवस्था पर व्यापक संघर्ष कर इसे ठीक करूंगा।

मैं वापस बड़कोट लौट आया।

कुछ दिन पहले जब पूरी दुनिया में कोरोना वायरस फैला और वेंटिलेटर की वेल्यू समझ आयी, तब भी मैंने कोई चटपटी फेसबुक पोस्ट नहीं डाली। मैंने स्वास्थ्य सचिव से बेहतर जिम्मेदार और संवेदनशील आईएएस डीएम उत्तरकाशी आशीष चौहान को फोन किया तो उन्होंने बताया की कुछ दिन पहले स्वास्थ्य सचिव जी को विडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए, जनपद में मौजूद बड़कोट के मात्र दो वेंटिलेटर जो गेल इंडियन ने दान दिये हैं की सूचना दे दी गयी है। दोनों वेंटिलेटरों को पैक कर के देहरादून भेजा जाना है, जहां कोरोना के इलाज में ये काम आ सके।

दुर्भाग्यवश वेंटिलेटर अभी तक देहरादून नहीं ले जाये गये हैं।