बीरोंखाल तहसील मुख्यालय स्यूंसी में खुलने को लेकर जनता भ्रम में
मीडिया लाइव: मुख्यमंत्री हरीश रावत की जनपद पौड़ी गढ़वाल में बीरोंखाल नाम से नयी तहसील का मुख्यालय स्यूंसी में खोलने की घोषणा और शासनादेश जारी होने से क्षेत्र के लोगों में भारी उत्साह है. इसे लेकर पिछले दिनों क्षेत्र की कई पट्टियों के ग्रामीणों ने भारी संख्या में स्यूंसी पहुँच कर सीएम हरीश रावत का आभार प्रकट किया और धन्यवाद रैली निकाली. बावजूद इसके कुछ लोग इसमें विवाद पैदा करने के लिए शासनादेश जारी होने के बाद भी राजनीतिक विवाद पैदा कर बाधा डालने की कोशिश कर रहे है. इस तरह जनता की मंसा पर पानी फेरने का काम किया जा रहा है. इसका सियासी लाभ भी मौजूदा सरकार को आगामी चुनाव में मिल सकता था. लेकिन मुद्दे को उलझा कर जनता में भ्रम की स्थति पैदा हो गई है. चौबट्टा विधान सभा से बीजेपी और कांग्रेस दोनों के संभावित प्रत्याशी इस मामले के उलझने के बाद साफ़ तौर पर कुछ भी कहने से बचते दिखाई दे रहे हैं. लोगों के बीच यह भी चर्चा होने लगी है कि अगर इस पर जल्द ठोस निर्णय नहीं लिया गया तो स्थानीय जनता आगामी चुनाव में अपना प्रत्याशी भी चुनाव मैदान में उतार सकती है. लोग लंबे समय से बीरोंखाल को जिला बानाने की मांग को लेकर पहले से ही आन्दोलन कर रहे हैं. ऐसे में जानकार इस तरह के मामलों को जनता के साथ सियासी छल बता रही है.
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक़ उत्तराखंड शासन ने अपने ही आदेश जारी करने के बाद स्यूंसी में तहसील मुख्यालय को लेकर स्थानीय प्रशासन को जनता के बीच आपत्तियां दर्ज कराने का आदेश जारी किया है. बहरहाल अभी अस्थायी तौर पर तहसील कार्यालय का संचालन थलीसैंण तहसील में ही शुरू कर दिया गया है.

गौरतलब है कि हरीश रावत सरकार ने राज्य के दूरस्थ और विकास की बाट जोह रहे क्षेत्रों को विकास की मुख्य धारा में शामिल करने की एक अच्छी शुरुआत की है. मुख्यमंत्री हर मंच से छोटी प्रशासनिक इकाइयों के गठन की बात दोहराते रहते हैं. जिस तरह से स्यूंसी में तहसील मुख्यालय खोले जाने को लेकर अपने ही शासनादेश के बाद शासन ने आपत्तियां दर्ज कराने का आदेश पारित किया है. वह मुख्यमंत्री रावत और उनके सरकारी तंत्र की कमजोर शासन ब्यवस्था की तरफ ही इशारा करता है. ऐसे में दशकों बाद इस क्षेत्र के लोगों को हरीश रावत सरकार ने एक नयी तहसील के मुख्यालय की सौगात से नवाजा था. लोग बहुत खुश थे. लेकिन अब जिस तरह से उत्तराखंड शासन ने एक नया आदेश जारी कर खुद अपने ही निर्णय पर कहीं न कहीं प्रश्न चिन्ह खड़ा कर दिया है. इससे सरकार के मुखिया के प्रति जनता के बीच नकारात्मक धारणा बनना स्वाभाविक है. इस मामले में अब जनता के बीच ही तहसील मुख्यालय को लेकर खींचतान शुरू हो गयी है.
क्षेत्र के मुख्य बाजार बैजरो ब्यापार सभा ने बाकायदा इसके लिए एक बैठक का आयोजन कर रणनीति बनाने के लिए तैयारी शुरू कर दी है. जिसके लिए अन्य स्थानीय बाजार , गांव और पट्टियों के लोग शामिल हो सकें. स्थानीय टैक्सी चालक संगठन ने भी नव सृजित तहसील का मुख्यालय पूरे क्षेत्र के मध्य स्यूंसी में शरू करने को अपना समर्थन दिया है. इसे लेकर यहाँ एक बैठक भी की गयी जिसमें ब्यापार संघ सहित अन्य संगठनों के लोग शामिल हुए. जिसमें पूर्व क्षेत्र पंचायत सौदरी देवी,बलवंत गंसाई,सुरेद्र, गौरा भाई, सुमन ढौंडियाल और बैजरो ब्यापार संघ के अध्यक्ष विनोद रावत आदि शामिल रहे.
तहसील मुख्यालय स्यूंसी में खोलने को लेकर दो जनवरी से स्थानीय टैक्सी युनियन और ग्रामीण जनता सभी जनप्रतिनिधि एक जुट हो कर गाँव-गाँव जाकर प्रचार करेंगे. सरकार की मंसा पर सवाल उठाते हुए स्थानीय बीजेपी विधायक तीरथ सिंह रावत ने कहा कि इस तरह की कार्य प्रणाली से सरकार के काम काज करने का पता चलता है. यह सरकार की निर्णय लेने की कमजोरी को साबित करता है. इस पर सरकार को जो भी उचित निर्णय लेना है. उसे जल्द से जल्द लिया जाना चाहिए, जनता के बीच किसी तरह के भ्रम की स्थिति नहीं फैलानी चाहिए. वहीँ इसी चुनाव क्षेत्र से कांग्रेस के संभावित प्रत्याशी राजपाल बिष्ट से इस मुद्दे पर संपर्क करने की कोशिश की गई, लेकिन उन्होंने फ़ोन नहीं उठाया. लगता है तहसील मुख्यालय का मुद्दा आने वाले दिनों में इस क्षेत्र में बड़ा रूप ले सकता है लोग इसके लिए लामबंदी की तयारी में जुटते दिखाई दे रहे हैं. कहीं ये न हो कि स्थानीय जनता उत्तरकाशी के मोरी विधान सभा क्षेत्र की जागरूक जनता की तरह अपना विधायक चुनने के लिए महापंचायत का रास्ता पकड़ कर नए राजनीतिक समीकरण तलाशने को मजबूर हो जाए. इस खबर पर यदि कोई भी क्षेत्रीय ब्यक्ति, राजनीतिक प्रतिनिधि या प्रशासनिक अधिकारी अपनी बात या पक्ष रखना चाहता है तो रख सकता है. मीडिया लाइव ब्यूरो.
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