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पहाड़ों में कोरोना के कहर के बीच रोजगार की संभावना बन रहा मत्स्य पालन, आप भी खुद के लिए अवसर तलाशें

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मीडिया लाइव, गोपेश्वर: उत्तराखण्ड के पहाड़ी इलाकों में जहां पानी की उपलब्धता है. वहां खेती-बाड़ी, औद्यानिकी के अलावा एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है जिस पर बेहतरीन योजना बना कर काम किया जा सकता है. यह क्षेत्र है मत्स्य पालन. बंगाल और पूर्वोत्तर राज्यों की तरह यहां इस सेक्टर में आर्थिकी अर्जित करने की असीमित सम्भावनाएं हैं. वहां के मुकाबले यहां और बेहतरीन किया जा सकता है. यहां गंगा-यमुना के अलावा  यहां सैकड़ों अन्य बड़ी नदियां व हजारों गाड़-गदेरे, रौले,नौले बह रहे हैं, जिनका पानी यूँही बर्बाद होता है. यहां मौजूद इन प्राकृतिक संसाधनो को हम अपने रोजगार और आर्थिकी का जरिया नहीं बना पा रहे हैं. इस वक्त लॉकडाउन के चलते बड़ी संख्या में युवा शहरों से गांव की तरफ आए हैं. अभी फिलहाल लौटने का कोई बजबूत आधार भी नहीं दिखाई दे रहा है. लेकिन इसके बाद रोजगार और परिवार के पालन-पोषण की चिंताएं हौले-हौले सिर उठाने लगी हैं. अभी को कुछ सूझ भी नहीं रहा है. ऐसे सरकार की योजनाओं और खुद के प्रयासों से ही कोई रास्ता निकालना बेहतर होगा. मौजूदा हालातों में सबको मिलकर अपने आसपास के प्राकृतिक संसाधनों की उपलब्धता पर ध्यान देने की जरूरत है कि इसमें ही कुछ करना हॉगा. इसमें सरकार का सहयोग भी लिया जा सकता है. कुछ लोग जो पहले से ही छोटे स्तर पर कुछ काम कर रहे हैं. उनसे प्रेरणा लेकर आगे कदम बढ़ाने होंगे. तब जकर कुछ राह निकलेगी. ऐसी ही सम्भावनाओं पर गौर करने की जर्रूरत है. इसी पर पेश है चमोली जनपद से आई यह विशेष रोजगार परक रिपोर्ट:

मत्स्य पालन
प्रकृति के बीच मत्स्य पालन के लिए तैयार तालाब.

वैश्विक महामारी कोरोना काल में पूरी दुनिया में अर्थव्यवस्था चौपट हो चुकी है. देश और दुनिया में करोड़ों लोगों का रोजगार इससे प्रभावित हुआ है. जिसका असर उत्तराखण्ड जैसे छोटे सूबे पर भी पड़ा है. यहां से बड़ी संख्या में लोग रोजी-रोटी कमाने के लिए शहरों की तरफ रुख करते हैं. जिसमें ऐसे अन्य जनपदों की तरह सीमांत जिला चमोली भी शामिल है. लेकिन अब बात इससे आगे सोचने की है. आपको बतादें कि चमोली जनपद में मछली पालन की भरपूर संभावनाओं को देखते हुए। गांव लौटे प्रवासी नवयुवक मछली पालन व्यवसाय को अपनाकर स्वरोजगार कर सकते है। जिले के मत्स्य विभाग के जरिये जिला योजना, राज्य योजना, केन्द्र पोषित योजना के तहत आकर्षक व बहुत फायदेमंद योजनाएं चलाई जा रही है। इच्छुक किसानों को मछली पालन के लिए तालाब और रेसवेज बनाने में भी मदद दी जा रही है।

मत्स्य पालन की भरपूर संभावनाओं को देखते हुए डीएम स्वाति एस भदौरिया व मुख्य विकास अधिकारी हंसादत्त पांडे ने मत्स्य विभाग को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक योजनाओं का लाभ पहुॅचाने के निर्देश दिए है। डीएम ने खास तौर पर कहा है कि इसके लिए फंड की कमी नही होने दी जाएगी। मत्स्य विभाग से इच्छुक किसानों को योजनाओं से लाभान्वित किया जा रहा है। वर्तमान में मत्स्य विभाग के जरिये जनपद के सूराईथोटा, वाण, माईथान जैसे दूरस्थ क्षेत्रों में भी तालाब, रेसवेज बनाकर मत्स्य पालन के इच्छुक काश्तकारों को बढावा दिया जा रहा है। भविष्य में मत्स्य विभाग के माध्यम से जिले में एग्लिंग, फिश आउटलेट, वैल्यू एडिसन एवं रंगीन मछलियों (एक्वेंरियम फिश) जैसे कार्यो का वृहत स्तर पर करवाकर अधिकाधिक रोजगार सृजन करने का लक्ष्य है.

मत्स्य विभाग ने हाल ही में राज्य के ट्राउट मत्स्य पालकों को मत्स्य प्रक्षेत्र बैरांगना से बड़ी संख्या में ट्राउट मत्स्य बीज का आवंटन किया है। इसमें से भारी संख्या में मत्स्य बीज जिले के मत्स्य पालकों में बांटा गया है। पिछले वित्तीय वर्ष मत्स्य विभाग ने गरीब सौ तालाब व ट्राउट रेसवेज का निमार्ण करवाया। जिसमें ट्राउट मत्स्य बीज व कार्प मत्स्य बीज संचय किया गया। अभी भी मत्स्य बीज संचय की प्रक्रिया जारी है। जनपद में दोंनो मत्स्य पालन क्षेत्रों में पर्याप्त मात्रा में मत्स्य बीज किसानों को वितरण के लिए उपलब्ध है। कोई भी किसान जिले में मत्स्य विभाग से संपर्क कर मत्स्य बीज ले सकते है।

लॉक डाउन में कई अच्छी-खासी कमाई:

राज्य के इस जिले में मत्स्य पालकों ने लाॅकडाउन के दौरान मछलियां बेचकर 5 लाख तक की आय अर्जित की है। जिला मत्स्य प्रभारी जगदम्बा कुमार ने बताया कि जिले में गैरसैंण के आनन्द सिंह ने लगभग 1 लाख, देवभूमि मत्स्य जीवी सहकारी समिति ल्वाणी ने 70 हजार, सतेन्द्र सिह गोदीगिवाला ने 60 हजार, बैरांगना के दिलबर लाल ने 40 हजार, बैरांगना के विरेन्द्र राणा ने 50 हजार तथा बैरांगना के ही मुकेश कुमार ने 20 हजार की मछलियां बेची जा चुकी है।