क्या नेपाल ने कोरोना पर काबू पा लिया ?
कोरोना संक्रमण को लेकर जहां दुनिया परेशान है, वहीं नेपाल हैरान कर रहा है। भारत का पड़ोसी देश होने के कारण नेपाल की सही स्थिति का जायजा लिया जाना जरूरी है। दक्षिण एशियाई देशों में कोराना वायरस का पहला केस नेपाल में दर्ज हुआ था। 13 जनवरी को चीन के वुहान से लौटे एक शख्स को कोविड-19 से संक्रमित पाया गया। उसके बाद भारत और उसके पड़ोसी देशों में कोरोना संक्रमण पसरने लगा। लेकिन बीते करीब 60 दिनों में नेपाल मे एक भी कोरोना पॉजीटिव मामला सामने नहीं आया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की 22 मार्च की रिपोर्ट भी इसकी तस्दीक कर रही है। जबकि नेपाल बड़ी सीमा चीन से लगी हुई है, और उसने 20 मार्च को ही इसे आवाजाही के लिए बंद किया है। वहीं भारत से लगी सीमा को लेकर भी लंबे समय तक नेपाल बेपरवाह रहा। गौरतलब है कि नेपाल में ऐवरेस्ट समेत अन्य पर्यटक स्थलों पर पर्यटकों की लगातार आवाजाही होती रही। इसके बावजूद तेजी से फैलने वाले कोरोना संक्रमण का नेपाल में असर सामने नहीं आया है। यह हैरान करने वाली बात है। हालांकि नेपाल इसे लेकर नेपाल में लोग आवश्वस्त नहीं हैं। वहां आम राय है कि सरकार कोरोना वायरस के लिए पर्याप्त टेस्टिंग नहीं कर रही है। काठमांडू पोस्ट के मुताबिक अभी तक महज 571 लोगों का ही परीक्षण किया गया है। जिनमें करीब 170 नेपाली लोग बाहरी देशों से रेस्क्यू कर लाए गए हैं। अखबार के मुताबिक अगर परीक्षण का दायरा बढ़ाया जाए तो नेपाल में संक्रमण के और मामले भी सामने आ सकते हैं। वहां चिकित्सा विशेषज्ञ मानते हैं कि दुनिया पर इस समय गंभीर संकट है, जिससे नेपाल भी अछूता नहीं है। इसलिए नेपाल सरकार को भी दुनिया भर में उठाए जा रहे ऐहतियाती कदमों का अनुसरण करना चाहिए। विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट पर नजर डालें तो भारत और पड़ोसी देशों में नेपाल की ही स्थिति जुदा है। जिसके अनुसार भारत में 20 मार्च तक 288 मामले, 4 मौतें, श्रीलंका में 72 मामले, बांग्लादेश में 24 मामले 2 मौतें, पाकिस्तान में 495 मामले, 3 मौतें और नेपाल में 1 मामला ही सामने आया है।