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चुनाव खर्च के लिए अब नेता जी कैसे बदलेंगे काला धन

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डेमो फेस पिक.
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मीडिया लाइव : नेता जी की मुश्किलें बढ़ गयी हैं. मुसीबत सता रही है की जब से मोदी ने 5 सौ और 1 हजार के पुराने नोटों के चलन की समय और सीमा निर्धारित करने का ऐलान किया है. चुनाव के लिए अवैध और कमीशन से इकट्ठा कर फंड रखने वाले नेता जी को सूझ नहीं रहा की सालों से भविष्य के चुनाव के लिए जमा की गयी 500 और 1000 के नोटों की नकदी को अब नयी करेंसी में कैसे तब्दील करा जा सकता है. नेता जी का हाजमा 8 नवम्बर की रात से पूरी तरह बिगड़ गया. जो अब तक बिना डकार लिए सब कुछ पचा रहे थे. उन्हें अपच हो गयी है. ढून्डने से भी इस मर्ज इलाज करने वाला डॉक्टर नहीं मिल  पा रहा है. नेता जी बीमारी के बाद भी किसी को नहीं बता पा रहे हैं कि आखिर परेशानी क्या है.

     राजनीति के चकड़ैत नेता जी को सलाह दे रहे हैं कि भरोशेमंद सिपहसालार कार्यकर्ताओं को ऐडवांस में चुनावी खर्चा दे दिया जाए और साथ में चुनावी जिम्मेदारी भी सौप दी जाए. चुनाव कैसे मैनेज करना है यह भी तय कर लिया जाये. ऐसे में नेता जी के बेरोजगार पार्टी और करीबी निजी फैन्स के लिए अच्छे दिन आने वाले हैं. ऐसे में कई चंट अपनी किश्मत आजमाने को नेताजी से करीबी सम्बन्ध बनाने की जुगत में लग गए हैं. इसी बहाने कम से कम किसी काम के लिए अग्रिम भुगतान वो भी नेता जी के साथ, अच्छा मौक़ा है पुरानी देनदारी भी मिलने की संभावनाएं बढ़ गयी हैं. ऐसे कार्यकर्ता वो भी  विरोधी पार्टी और खेमे का होने के बावजूद मोदी को मन ही मन थैंक्स कह रहे है. ऐसा नहीं है कि केवल सत्ता सुख भोग रहे नेता जी ने ही पुरानी करेंसी जमा कर रखी हो विपक्ष के नेता जी ने भी समय-समय पर माल कमाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है. मुसीबत उनकी भी उतनी ही बढ़ी हुई है. कुछ तो ऐसे हैं जिन्होंने पिछले कई साल से चुनाव के लिए 500 और 1000 के खूब नोट जमा कर रखे हैं. बस टिकट का इंतजाम करने में पिछड़ जा रहे हैं. ऐसे में ये नेताजी करें भी तो क्या. मोदी ने अचानक फंसा कर रख दिया. खैर भविष्य में क्या होगा क्या नहीं होगा, लेकिन नेता जी आज कुछ परेशान हैं जरूर ,पर भविष्य को देखते हुए उनकी आँखों की चमक भी बढ़ गयी है. उन्हें 2000 रुपये का नया नोट दुगनी ख़ुशी का एहसास भी करा रहा है.