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केदारनाथ के सवालों को गढ़वाली में यूं उठाया हरीश रावत ने…

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मीडिया लाइव, देहरादून: मी तीन दिना कुन श्री केदारनाथ जी का दर्शन ओर जू यात्रा रूट ची वेक भ्रमण म आयूँ छो, जू जू ये रूट मं दगड़िया छिन उँख दर्द ते जनना ओर सुनना कून आयूँ छो।

जिस प्रकार यात्रा का प्रबंधन जान-बूझकर गड़बड़ाया गया उससे उनको कितनी क्षति हुई है‌! मैं उनसे यह भी जानने आया हूं कि केदार शिला दिल्ली भेजकर वहां वैकल्पिक केदार धाम बनाने का जो षड्यंत्र किया गया क्या उससे वह आहत हैं? इस क्षेत्र में हमारे आदरणीय तीर्थ पुरोहितगण भी रहते हैं। जिस प्रकार मास्टर प्लान आदि की आड़ में उनके हक-हकूकों,मान्यताओं और परंपराओं को केदार धाम में क्षीर्ण किया जा रहा है उस पर वह क्या सोचते हैं ? मंदिर से चांदी निकाल दी कहां गई किसी को पता नहीं! सोना नहीं लगा उसकी जगह पर सोने की परत लगाई गई और अधिकांश स्थानों पर सोने की फाॅगिंग की गई। ज्योतिष पीठ के आदरणीय शंकराचार्य जी ने जब सवाल पूछा तो उनकी अवमानना की गई, इस प्रश्न पर हमारे आदरणीय तीर्थ पुरोहित गण सहित दूसरे लोग क्या सोचते हैं? कुंड से लेकर गौरीकुंड तक सड़क की दशा ऐसी है कि यात्रा के दिनों में घंटों जाम लग जा रहा है।

भौत सरा दर्द छिन, ऊं पर बातचीत करना कून आयूँ छो, चुनाव प्रचार करना कून त मि दुबर 15,16,17,18 तारीखा कून ये धरती म ओलू। अभी त मि अपर भुली, भूला, बोड़ी, ब्वाडा, चचा, चची ते प्रणाम करना कून आयूँ छो।