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भारत के पड़ोसी देशों में चीन का बढ़ता दायरा

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भारत के पड़ोसी देशों में चीन की मौजूदगी का दायरा बढ़ता ही जा रहा है. मालदीव में सैन्य सरकार आने के बाद वहां भारत की मौजूदगी लगातार कम होती गई. मालदीव के राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन को चीन का समर्थन हासिल है.यामीन की सरकार ने कहा है कि भारत उनके देश से सैन्य हेलिकॉप्टर और अपने कर्मियों को वापस बुला ले. मालदीव का कहना है जून में भारत के साथ करार ख़त्म हो गया है और वो इसका नवीनीकरण नहीं करना चाहता है.

हिन्द महासागर के देशों में भारत दशकों से सैन्य और नागरिक सुविधाएं प्रदान करता रहा है अब वो काम चीन ज़्यादा आक्रामक तरीक़े से कर रहा है और भारत को उन देशों से अपने पैर पीछे खींचने पड़े हैं. इस साल राष्ट्रपति यामीन ने मालदीव में जब आपातकाल लगाया था तो भारत ने इसका विरोध किया था. यामीन ने इसे मालदीव के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करार दिया था. जून के पहले हफ़्ते के मंगलवार को मालदीव में सत्ताधारी पार्टी के सांसद अहमद निहान को चेन्नई के अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से वापस भेज दिया गया.

मालदीव के अख़बार मालदीव इंडिपेंडेंट का दावा है कि निहान इलाज के लिए भारत पहुंचे थे, लेकिन चेन्नई हवाई अड्डे पर ही राजनयिक पासपोर्ट से जुड़ी पूछताछ के बाद सुरक्षाबलों ने उन्हें वापस भेज दिया गया.मालदीव इंडिपेंडेंट के मुताबिक़ निहान ने कहा कि अगर भारत का पड़ोसी देशों के प्रति यह नीतिगत रवैया है तो इससे कुछ भी हासिल नहीं होने जा रहा.

निहान ने अपने देश के स्थानीय मीडिया से कहा, ”मुझसे पूछा गया कि राजनयिक पासपोर्ट कहां से मिला. मैंने उनसे कहा कि मैं सांसद हूं. उन्होंने फिर पार्टी का नाम पूछा तो मैंने बताया- प्रोग्रेसिव पार्टी ऑफ़ मालदीव. इसके बाद उन्होंने और पूछताछ की बात कही.”भारत में मालदीव के राजदूत अमहद मोहम्मद ने मिहारू अख़बार से इस मामले में कहा है कि उन्होंने इसे लेकर विदेश मंत्रालय को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है. हालांकि इस मामले में भारत की तरफ़ से अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है.