ये गांव वाले भी कोरोना वारियर की तरह जिम्मेदारी में जुट गये हैं
मीडिया लाइव: कोविड 19 ने सबकुछ बदलकर रख दिया है. प्रवासी घर-गांवों को लौट रहे हैं. उन्हें कोरन्टीन करने का जिम्मा ग्राम प्रधानों को सौंपा गया है. लेकिन सब जगह व्यवस्थाएं दुरुस्त हों ऐसा नहीं है. इसलिए कुछ प्रधान बहुत सोच समझ कर इन समस्याओं से निपटने का रास्ता निकाल रहे हैं. ऐसे गांव और वहां के ग्रामीण भी कोरोना वारियर के तरह काम करने में जुट गए हैं.
टिहरी जिले के नरेंद्र नगर ब्लॉक के पसर ग्राम पंचायत में भी हालात सामान्य नहीं थे. यह ग्राम पंचायत 4-5 गांवों से मिल कर बनी है. गांव में कई तरह की सियासी समस्याएं होती हैं लेकिन बावजूद इसके सबने इस पर मिलजुल कर निर्णय लिया.प्रवासियों के लिए कोरन्टीन सेंटर के तौर पर गांव के विद्यालय भवन को चुना गया. वहां व्यवस्थाएं जुटाने की कोशिश की गईं. खाने रहने के अलावा सबसे बड़ी समस्या पानी की है, जिससे खाने-पीने के अलावा नहाने धोने की व्यवस्था का क्या होगा? साफ सफाई कैसे मेंटेन होगी. क्योंकि स्कूल में आने वाली पेयजल लाइन लम्बे समय से क्षति ग्रस्त थी. इसका इससे पहले किसी ने संज्ञान नहीं लिया. लेकिन जब कोरोना संक्रमण की मुसीबत सामने आई और अब स्कूल को कोरन्टीन सेंटर बनाना था तो इसकी उपयोगिता समझ में आई.

पेयजल विभाग भी इस पर अभी तक कुछ नहीं कर पाया था. लेकिन प्रवासियों के आने का क्रम शुरू हो गया. तो आनन-फानन में गांव की नव निर्वाचित ग्राम प्रधान नीलम रावत ने व्यवस्था को सुचारू बनाने के लिए सबसे पहले अपने परिवार में बात की और फिर गांव के जो लोग घर आ रहे हैं, उनके परिजनों से बात चीत कर आपसी ताल-मेल से स्कूली की पेय जल लाइन को ठीक करने का निर्णय लिया. गांव में कुछ लोगों के पास पाइप उपलब्ध थे. सबसे बात कर ग्रामीणों के समुहिक प्रयास से पेयजल लाइन जोड़ने के प्रक्रिया शुरू की गई. गांव में मौजूद युवाओं ने साथ आ कर इस पर काम करना शुरू किया. पहाड़ी के ऊबड़ खाबड़ जगहों से पानी लाया गया.

प्रधान ने कुछ अन्य जरूरी सामान की खरीद की और करीब 400 मीटर पानी की लाइन को जोड़ कर विद्यालय तक पहुंचाया. इसके अलावा गांव की महिलाएँ कोरन्टीन सेंटर में रहने वालों के लिए अन्य जरूरी सुविधाओं को जुटाने में योगदान दे रही हैं. सब लोग कंधे से कंधे मिला कर प्रवासियों के लिए व्यवस्थाएं जुटाने में लगे हैं. गांव की आबादी करीब 500 है. 80 परिवार गांव में ही मौजूद हैं. प्रवासियों का आना शुरू हो गया है. 18 लोग पहुंच चुके हैं. जिनमें तीन परिवार सहित हैं. प्रधान और गांव में रहने वाले परिजनों को जो जानकारी मिली है उसके मुताबिक अभी 15 लोग और पुहंचने वाले हैं. चार युवक नेपाल से आने वाले हैं. इसके अलावा दिल्ली, चंडीगढ़, गुरुग्राम, बैंगलौर और पटियाला से भी लोग लौट रहे हैं.

ग्राम प्रधान नीलम रावत का कहना है कि पुरा गांव सहयोग कर रहा है. प्रवासी हमारे ही घर परिवार और गांव के लोग हैं. ऐसी मुसीबत की घड़ी में हम सबका दायित्व बनता है कि हम सब उनके साथ खड़े हों. पूरा गांव अपने प्रवासी परिजनों लिए एक जुट है. कोई परेशानी नहीं आने दी जाएगी. शासन-प्रशासन के बताए गए नियमों का पूरा पालन किया जा रहा है. प्रवासी भी पूरा सहयोग कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि गांव की महिलाएं और पुरुषों ने अपनी-अपनी जिम्मेदारी ले रखी है. प्रवासियों के लिए व्यवस्थाएं जुटाने में हुकुम सिंह, कमल सिंह, प्रेम सिंह, जसपाल सिहं, देवेंद्र सिंह रावत, सबल सिंह, फूला देवी, कृष्णा देवी आदि शामिल हैं.