तीरथ अगले सीएम की शपथ लेंगे, उत्तराखंड की सियासत में बड़े बदलाव देखने को मिलेंगे
मीडिया लाइव, देहरादून: गढ़वाल लोकसभा क्षेत्र से सांसद तीरथ सिंह रावत उत्त्तराखण्ड के नये मुख्यमंत्री की शपथ लेंगे। बुधवार को भाजपा विधानमंडल दल की बैठक में तीरथ के नाम पर मुहर लगाई गई। उनके नाम का ऐलान त्रिवेंद्र सिंह रावत ने किया। इस मौके पर केंद्रीय पर्यवेक्षक डॉ रमन सिंह व प्रभारी दुष्यंत गौतम मौजूद थे।
बुधवार की सुबह पार्टी मुख्यालय में भाजपा विधानमंडल दल की बैठक बुलाई गई थी। बैठक में सर्वसम्मति से तीरथ के नाम का चयन किया गया। मौजूदा समय में तीरथ सिंह रावत पौड़ी से सांसद है। विनम्र व स्वच्छ छवि के तीरथ प्रदेश अध्यक्ष व शिक्षा मंत्री भी रह चुके हैं। वे गढ़वाल विवि के अध्यक्ष भी रहे हैं।
नौ मार्च को सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद नये नेता के चयन को लेकर दावेदारों ने गोटियां बिछानी शुरू कर दी थी। सूत्रों के मुताबिक नये सीएम तीरथ सिंह रावत संघ के बेहद प्रिय बताए जा रहे हैं। तीरथ के नाम को लेकर त्रिवेंद्र सिंह रावत डॉक्टर धन सिंह रावत और और राष्ट्रीय नेताओं के बीच आपसी सलाह से निर्णय लिया गया। संघ और पार्टी संगठन के बीच तीरथ को लेकर किसी तरह की नाराजगी और विरोध कहीं देखने को नहीं मिला। तीरथ सिंह रावत कभी पार्टी पॉलिटिक्स का हिस्सा नहीं रहे ना कोई लॉबिंग ना किसी का विरोध, पार्टी लाइन पर रहकर एक निष्ठावान कार्यकर्ता और पदाधिकारी रहकर वे हमेशा अपनी जिम्मेदारियों को निभाते रहे। बेहद सरल सौम्य और व्यावहारिक नेता के तौर पर तीरथ सिंह की पहचान रही है।
याद रहे कि 2017 के विधानसभा चुनाव के दौरान तीरथ सिंह रावत का सिटिंग विधायक रहते हुए टिकट कट गया था। आज उसी विधानसभा के कार्यकाल में वे मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं। इससे पहले लोकसभा चुनाव 2019 के दौरान जब उन्हें गढ़वाल संसदीय सीट से पार्टी उम्मीदवार बनाया गया तब भी उत्तराखंड की सियासत में वह चौंकाने वाला कदम था। जिसकी किसी को उम्मीद नहीं थी,मीडिया और राजनीतिक विश्लेषकों की सारी अटकलें धरी की धरी रह गई। शायद तीरथ मंत्रिमंडल के विस्तार से भी लोगों को चौंकाएं। तीरथ सिंह रावत की राजनीतिक जड़ें पार्टी संगठन और संघ के भीतर कितनी मजबूत और गहरी हैं यह शायद अब किसी को बताने की जरूरत नहीं है। नए मुख्यमंत्री के तौर पर तीरथ सिंह रावत के सामने विशालकाय चुनौतियां हैं। अंतरिम सरकार में बतौर शिक्षा मंत्री शासन चलाने का उनके पास थोड़ा बहुत अनुभव है, जो बेहद ना काफी है। अब वह शासन और पूरे उत्तराखंड की बागडोर अपने हाथ में लेने के बाद शासन चलाने के कौशल को किस तरह से दिखाते हैं, यह देखना और समझना बेहद दिलचस्प होगा। ठीक उसी अंतरिम सरकार की तरह उन्हें एक बार फिर मौका मिला है। भारतीय जनता पार्टी से लंबे समय से जुड़े लोगों का मानना है कि त्रिवेंद्र, तीरथ और धन सिंह रावत की तिकड़ी मिलकर अगर सियासत करती है, तो भाजपा उत्तराखंड में बेहद मजबूत हो सकती है। तीरथ सिंह रावत पौड़ी जिले से बनने वाले पांचवें मुख्यमंत्री हैं इससे पहले भुवन चंद्र खंडूरी रमेश पोखरियाल निशंक विजय बहुगुणा और त्रिवेंद्र सिंह रावत के नाम इस सूची में जुड़ चुके हैं। पौड़ी जिले के हालात किसी से छिपे नहीं हैं। इन सभी नामों में चार नाम अब तक बतौर भाजपा के शासनकाल में जुड़े हैं।
राजनीतिक संभावनाएं:
सल्ट विधानसभा क्षेत्र से उपचुनाव लड़ कर विधानसभा पहुंच सकते हैं तीरथ सिंह।
तीरथ सिंह कैबिनेट में दो और विधायकों को मिल सकता है मौका।
तीरथ कैबिनेट में सभी मंत्री हो सकते हैं कैबिनेट।
गढ़वाल लोकसभा सीट से कौन होगा पार्टी उम्मीदवार ?
अचानक बदले हुए इस पूरे राजनीतिक घटनाक्रम के बाद उत्तराखंड की राजनीति में कुछ बड़े बदलाव देखने को मिल सकते हैं। जिसका बड़ा असर यहां की सियासत में पड़ना तय है।