सरकारी अभियान की बजाय खुद बीड़ा उठाया मणकोली के युवाओं ने, चला रहे गांव स्वच्छता अभियान
लॉकडाउन जैसा बुरा वक्त इस सदी में पहले कभी देखने को नहीं मिला, इस बेहद खराब वक्त को ये लोग एक सुनहरे मौके के तौर पर उपयोग कर रहे हैं. गांव के कई सूने घरों-खोलों-गलियों में इन दिनों रौनक लौट आई है. सभी लोग ग्राम प्रधान के साथ मिल कर इस सफाई की मुहिम का हिस्सा बने हैं. कोरन्टीन के 14 दिन के तय वक्त को काटने के बाद अब गांव में खूब रौनक देखने को मिल रही है. यह रौनक अनुसूचित जाति बस्ती में भी देखी जा रही है. सब लोग मिलकर कई अन्य काम भी कर रहे हैं. इसके अलावा प्रवासियों के जॉब कार्ड बनने की प्रक्रिया भी आगे बढ़ रही है. जो लोग इस बीच मनरेगा में काम करने के इच्छुक होंगे उनको इसका लाभ भी मिल सकेगा. साथ ही राज्य सरकार की तमाम जन कल्याणकारी व स्वरोजगार परक योजनाओं का फायदा भी ये लोग उठा सकते हैं.
अनलॉक के दौरान सफाई अभियान का जो फोकस अनुसूचित जाति बस्ती पर किया गया है, वह काबिले तारीफ है. यहां ये बात खास महत्वपूर्ण इसलिए हो जाती है कि गांव के अन्य हिस्सों की अपेक्षाकृत कम जागरूक वाले हिस्सों में लोग सफाई के प्रति लापरवाही बरतते हैं.

गौरतलब है कि मणकोली ग्राम पंचायत पाबौ ब्लॉक के अंतर्गत आती है. इनका डाकघर चपलोडी है। ये इलाका क्षेत्र में पट्टी बाली कण्डारस्यूं के नाम से जाना जाता है. इसकी अपनी अलग ही पहचान है.
सामाजिक कार्यकर्ता अनूप क्षेत्र की समस्याओं को लेकर लोगो को अकसर जागरूक करते रहते हैं और प्रशासन से लेकर शासन का ध्यान खींचते रहते हैं। इन दिनों गांव के अन्य युवा जिनमें सुमित कुमार, अरविंद कुमार, पंकज कुमार, राजेंद्र कुमार राहुल कुमार सूरज कुमार प्रकाश चंद्र प्रदीप कुमार प्रमोद कुमार आदि शामिल हैं, बखूबी उन्हें सहयोग कर रहे हैं.
अमूमन पहाड़ के सभी दूर-दराज इलाको की मुसीबतें एक जैसी होती हैं. यहां भी स्वास्थ्य रोजगार, शिक्षा का की व्यवस्था वैसी ही है, जैसे अन्यत्र जगहों की है. मणकोली भी उन्हीं दूरस्थ पिछड़े गांवों की श्रेणी में आता है, जहां अभी विकास हवा में है, जमीन पर नहीं। सड़क भी यहां अभी हाल ही में पहुंची है. हालांकि ये गांव नेशनल हाइवे से साढ़े चार किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, लेकिन सम्पर्क मार्ग यहां अभी कुछ बरस पहले ही बना है. जिस पर अभी डामरीकरण का काम होना बाकी है.
ग्राम प्रधान मंगलेश्वरी देवी ने बताया कि अनुसूचित जाति बस्ती के रास्तों व आसपास के क्षेत्रों में युवाओं के साथ मिलकर विशेष ध्यान दिया जा रहा है. जिसमेे गांव के के सभी युवाओं ने बढ़चढ़ कर प्रतिभाग किया। लाॅकडाउन में इन युवाओं ने राशन वितरण, मास्क, हैंडवाॅस बांटने आदि में पूरा सहयोग किया. उनका कहना है कि राज्य व केंद्र सरकार की स्वरोजगार देने वाली योजनाओं से सभी युवाओं को जोड़ने की कोशिश की जा रही है. इसके लिए खण्ड विकास कार्यालय से बराबर सम्पर्क किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि अलग-अलग वक्त में गांव लौटे लोग गांव के विकास और सर्वजिनिक कार्यों में बढ़ चढ़कर भागीदारी निभा रहे हैं. इससे गांव में एक अच्छा माहौल देखने को मिल रहा है. जो लोग बाहर से आए हैं उनमें संतोष सिंह भण्डारी, तजबर भण्डारी, सुनील नेगी आदि शामिल हैं ये लोग चंडीगढ़, पंजाब, दिल्ली, हरियाणा आदि शहरों में जॉब कर रहे थे. लेकिन अभी घर लौट आए हैं.