आपदा : पढ़िए हरीश रावत की मार्मिक और संवेशील पोस्ट
मीडिया लाइव देहरादून: उत्तराखंड में कोई नेता इतना मार्मिक और संवेदनशील हो कर भी लिख सकता है ? देश के तमाम प्रांत इस बार भारी बारिश और बिगड़ते मौसम से उपजी आपदा से जूझ रहे हैं। बड़ी संख्या में जानमाल की क्षति हुई है। सरकारों ने सैकड़ों नहीं लाखों करोड़ के नुकसान का अनुमान लगाया है। ऐसे हालातों से पर्वतीय राज्य उत्तराखंड जो पहले से ही बेहद संवेदन शील भूगोल वाला बताया जाता है। यहां हर बार बरसात आपदा लेकर आती है। हर साल यहां के लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ती है।
ऐसा इस बार भी हुआ है, पहले उत्तरकाशी के धराली में आपदा ने कहर बरपाया। वहीं चमोलीबक थराली में भी रिहायशी इलाके में बहुत नुकसान पहुंचा। लेकिन अभी एक बार फिर चमोली जिले के नंदानगर घाट में में कुदरत ने बड़ी मार मारी है। यहां बादल फटने और अति वृष्टि से जानमाल का बहुत बड़ा नुकसान हुआ है। नंदानगर में राहत और बचाव का कार्य बड़ी तेजी के साथ किया जा रहा है। तमाम सियासी लोग भी यहां लोगों का दुःख बांटने के लिए पहुंच रहे हैं।
प्रभावित इलाके में लापता चल रहे लोगों की खोजबीन जारी है। इस दौरान कुछ जिंदगियों को बचाया भी गया है। लेकिन जिस तरह से सोशल मीडिया पर नंदानगर घाट से लोगों के क्रंदन के स्वर सुनाई दे रहे हैं, वह हर किसी को झकझोरने के लिए काफी हैं। महिलाओं पुरुषों, बच्चों, बूढों की चीख पुकार ने हाहाकार मचा रखा है। जो लोग अपनों को खो चुके हैं, वह सुधबुध गंवा चुके हैं। कौन किसको संभाले किसको पूछे ? चारों तरफ मातम ही मातम पसरा हुआ है।
ऐसे में उत्तराखंड के वरिष्ठ नेता हरीश रावत ने बेहद संबेदनशीलता का परिचय देते हुए सोशल मीडिया पर एक पोस्ट लिखी है, जो एक नेता के अंदर के इंसानी प्रतिबिंब को उजागर करता है।
पढ़िए हरीश रावत ने क्या लिखा :
घाट, जिला चमोली के कुंतरी गांव में #कांता_देवी के शव के साथ उनकी छाती पर लिपटे हुए उनके 10 वर्षीय दो जुड़वा #बच्चे विकास और विशाल की दर्दनाक मौत, आपदा के इस भंयकर घटनाक्रम में हमेशा लोगों को आशुओं की एकाध बूंद के साथ याद आती रहेंगी। यह दृश्य मां की ममता की असीमित पराकाष्ठा का उदाहरण है।
विकास और #विशाल को छाती पर लगाए हुए कांता देवी पर जब पत्थर और मलबे का ढेर गिरा होगा, तो सांस निकलते-निकलते भी कांता देवी प्रार्थना कर रही होंगी “मां नंदा” मेरे विकास और विशाल को बचा लो।
कांता देवी के पति कुंवर सिंह को सुरक्षित निकालने के बाद जो कराहने की आवाज़ें सुनाई दे रही थी, निश्चित तौर पर वह आवाजें कांता, विकास और विशाल की रही होंगी। काश मां की ममता जीत पाती!